MP कर्मचारियों-अधिकारियों के लिए अच्छी खबर! पदोन्नति में आरक्षण पर ताजा अपडेट, जल्द आ सकता है बड़ा फैसला

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए अच्छी खबर है। कर्मचारियों और अधिकारियों का 6 साल का पदोन्नति में आरक्षण (MP Reservation in Promotion) का इंतजार खत्म हो सकता हैक्य ग्रीष्म अवकाश समाप्त होने के बाद आज सोमवार 11 जुलाई से सुप्रीम कोर्ट में फिर से सामान्य कामकाज शुरू होने जा रहा है, ऐसे में सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक कल्याण संस्था (स्पीक) मामले की जल्द सुनवाई की अर्जी लगाएगी।

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दरअसल, आज सोमवार से सुप्रीम कोर्ट में सामान्य कामकाज शुरू होगा, ऐसे में लंबे समय से पदोन्नति में आरक्षण का इंतजार कर रहे कर्मचारियों और अधिकारियों की हितेषी सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक कल्याण संस्था (स्पीक) मामले की जल्द सुनवाई की अर्जी लगाएगी ताकि जल्द फैसला आ जाए और मई 2016 में लगाई गई पदोन्नति पर रोक हटते ही कर्मचारियों को लाभ मिल सके। इधर, सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण मामले में मुद्दे तय कर दिए हैं, जिन्हें आधार बनाकर केंद्र और राज्यों के संदर्भ में फैसला लिया जाना है।

वही मध्य प्रदेश के प्रकरण में मई 2022 में सुनवाई तय की गई थी।इसके बाद राज्य सरकार ने आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्था से सभी बिंदुओं पर सर्वे कराया गया है और कोर्ट के निर्देश पर अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के कर्मचारियों का डाटा प्रस्तुत कर दिया । इसमें सरकार ने बताया कि पदोन्नति में अनुसूचित जाति को 16 और अनुसूचित जनजाति को 20 प्रतिशत आरक्षण देना न्यायसंगत रहेगा।संभावना है कि सुप्रीम कोर्ट इसी महीने सुनवाई कर सकता है।

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बता दे कि मध्य प्रदेश में पिछले 6 साल यानि 2016 से कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण का मामला लंबित है।इस अवधि में 70000 से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं और करीब 36000 को पदोन्नति नहीं मिली है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को ‘मप्र लोक सेवा (पदोन्न्ति) नियम 2002″ को खारिज कर दिया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मई 2016 में यथास्थिति (स्टेटस-को) रखने के निर्देश दिए हैं, तब से पदोन्नति पर रोक लगी है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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