भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना काल (corona era) के बीच मध्य प्रदेश के जूनियर डॉक्टर (JUDA ) से अपनी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल (strike) पर है। 4 दिन की हड़ताल के बाद हाईकोर्ट (highcourt) द्वारा सभी जूनियर डॉक्टर को तत्काल हड़ताल खत्म करने और काम पर लौटने के निर्देश दिए गए हैं। जिसके बाद प्रदेश के 3000 से अधिक जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। इसी बीच चिकित्सा शिक्षा आयुक्त निशांत वरवड़े निगाहों के जूनियर डॉक्टर की समस्या के लिए कई बार चर्चा की जा चुकी है।
वहीं उनकी मांगों के समाधान के लिए कई कदम भी उठाए गए हैं। डॉक्टरों के स्टाइपेंड (stipend) में 17% की वृद्धि मान्य की गई है। चिकित्सा शिक्षा आयुक्त वरवड़े ने बताया कि जल्दी जूनियर डॉक्टर के स्टाइपेंड को लेकर आदेश जारी किए जाएंगे। इसके साथ ही प्राइस इंडेक्स के तहत इसमें आगे भी बढ़ोतरी की जाएगी। इसके अलावा चिकित्सा छात्र बीमा योजना भी लागू की जा रही है।
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इसके साथ ही चिकित्सा शिक्षा आयुक्त वरवड़े ने कहा कि अत्यावश्यक सेवा संधारण और विछिन्नता अधिनियम के अनुसार सभी सेवाओं से जुड़े अधिकारी कर्मचारी पर यह नियम लागू होते हैं। उन्होंने कहा कि जूनियर डॉक्टर को अपने नैतिक दायित्व की पूर्ति करते हुए मरीजों का उपचार जारी रखना चाहिए।
वही चिकित्सा शिक्षा संचालक उल्का श्रीवास्तव ने कहा डॉक्टर अपनी इच्छा के अनुसार पीजी करने के लिए मेडिकल कॉलेज का चयन करते हैं। जबकि चयन के समय उन्हें पता रहता है कि उनके स्टाइपेंड कितने होंगे। इसलिए कोरोना जैसी महामारी में सेवा भाव से डॉक्टर को जल्द काम पर लौटना चाहिए।