भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (MP) में लापरवाह अधिकारी कर्मचारियों (MP Employees) पर कार्रवाई का सिलसिला जारी है। दरअसल उज्जैन (ujjain) से इंदौर (indore) और कई जिले में अधिकारी कर्मचारी पर कार्रवाई की गई है। उज्जैन में जिला कलेक्टर ने निरीक्षण के दौरान सिविल सर्जन और RMO के 7 दिन के वेतन काटने के निर्देश दे दिए हैं। साथ ही 1 डॉक्टर को निलंबित (suspend) किया गया है।
दरअसल कलेक्टर आशीष सिंह अचानक जिला अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे। इस दौरान एक मेडिकल ऑफिसर अस्पताल में मौजूद नहीं थे। साथ ही स्पेशल ओपीडी में भी के डॉक्टर नदारद मिले। जिसके बाद कलेक्टर सिंह द्वारा तत्काल और तो वार्ड प्रभारी और ड्यूटी डॉक्टर को 1 माह के वेतन काटने के निर्देश दे दिए हैं। साथ ही विभागीय जांच की बात कही गई है।
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साथ ही दवा वितरण केंद्र पर गड़बड़ी देखने के बाद कलेक्टर द्वारा सिविल सर्जन और आरएमओ के 7-7 दिन के वेतन काटने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही चरक अस्पताल के एक डॉक्टर को भी निलंबित कर दिया गया है। दवा वितरण में गड़बड़ी होने पर स्टोर प्रभारी विजय शर्मा, स्टोर कीपर रजत गांधी को ऑर्डर देने के इंचार्ज राघवेंद्र सिंह के खिलाफ 7-7 दिन के वेतन काटने के निर्देश दिए गए हैं।
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वहीं एक अन्य कार्रवाई इंदौर जिले में की गई है। जहां नगर निगम कमिश्नर को अनुशासनहीनता को लेकर एक्शन मोड में देखा गया है। कमिश्नर प्रतिभा पाल ने शहर का दौरा कर दिया। संरक्षण की स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान द्वारा अभद्र व्यवहार करने पर उनकी सेवा समाप्त कर दी गई है। साथ ही वेतन भी राजसात कर लिए गए हैं। दरअसल निगम कमिश्नर पॉल ने जोन 18 और वार्ड 64 में कार्यरत विद्युत निरीक्षक मोहम्मद इरशाद खान को कार्य में लापरवाही करने पर 15 दिन का वेतन काट लिया है।
वहीं एक अन्य कार्रवाई इंदौर जिले में की गई है जहां मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर के लिए बनाई गई रणनीति और कार्यशाला में उपस्थित रहने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ता वीरेंद्र सिंह भदौरिया को सस्पेंड कर दिया गया है। भदौरिया के खिलाफ कार्य के प्रति लापरवाही बरतने के कारण शिकायत दर्ज की गई थी जिसके बाद सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के अलग-अलग नियम के उल्लंघन में यह कार्रवाई की गई है।