अधिकारियों-कर्मचारी के लिए सरकार का बड़ा फैसला, सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी किया आदेश, CM की अनुमति होगी जरूरी

Kashish Trivedi
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राज्य शासन

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (MP) में एक बार फिर से MP Employees-Officers को लेकर शिवराज सरकार (Shivraj Government) ने बड़ा फैसला लिया है। दरअसल लोगों की शिकायत अपने प्रचार को लेकर सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (Prevention of Corruption Act 1988) की धारा 17A की प्रक्रिया में संशोधन किया गया है। जिसके बाद अब अन्य वर्ग 1 और 2 सहित IAS-IPS-IFS अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच से पहले सीएम (CM) की अनुमति लेनी अनिवार्य होगी। इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों को निर्देश जारी कर दिए हैं।

जारी निर्देश के मुताबिक भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत संचालन के संबंध में प्रक्रिया के निर्धारण के बारे में कहा गया है। जिसमें कहा गया है कि प्राधिकारी अखिल भारतीय सेवा सहित वर्ग 1 के कर्मचारी के मामले में सीएम से संबंध में आवश्यक होगा। इसके अलावा वर्ग 2, 3 और 4 के अधिकारी कर्मचारियों के मामले में संबंधित निर्णय प्रशासकीय विभाग द्वारा लिए जाएंगे।

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भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17A के तहत किए गए प्रावधान के अनुसार अब IAS IPS और IFS अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच से पहले इसकी जानकारी मुख्यमंत्री को दी जाएगी। वहीँ वर्ग 2 से लेकर वर्ग 4 तक के अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच की अनुमति विभाग के प्रमुख अधिकारी दे सकेंगे। 5 मई 2022 को जारी सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश के मुताबिक भारत सरकार कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के आदेश 3-9-2021 द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17 ए के तहत प्रकरणों के मानकीकरण और इस प्रक्रिया को लेकर विस्तृत निर्देश जारी किए गए हैं।

आदेश के मुताबिक उसका निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17 ए के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।जारी आदेश के मुताबिक विभाग के 279 2021 को जारी पत्र के मुताबिक भारत सरकार द्वारा कंडिका 53 के अनुसार भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्राप्त करने हेतु संबंधित विभाग के अवर सचिव स्तर के अधिकारी को अधिकृत करने के निर्देश दिए गए हैं।

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वहीं राज्य शासन द्वारा भारत सरकार द्वारा जारी SOP के परिपेक्ष पर प्रक्रिया का निर्धारण किया गया। जिसके मुताबिक धारा 17 के तहत सक्षम प्राधिकारी अखिल भारतीय सेवा वर्ग 1 के अधिकारियों के मामले में से अनुमति लेनी आवश्यक होगी। वहीं सीएम से समन्वय के बाद ही कार्रवाई की जा सकेगी जबकि वर्ग 2 3 और 4 के अधिकारी कर्मचारियों के मामले में इसका अधिकार प्रशासकीय विभाग के पास होगा।

जबकि धारा 17 ए के तहत अनुमति लेने के लिए प्रस्ताव का सर्वप्रथम प्रशासन विभाग के नामांकित अधिकारी द्वारा चेक लिस्ट तैयार किया जाएगा। उसके अनुसार प्रस्ताव की पूर्णता की जांच की जाएगी। प्रस्ताव की जांच के स्थिति में संबंधित विभाग प्रशासन के अनुमोदन प्राप्त करेगा। उसके बाद अखिल भारतीय सेवा और वर्ग 1 के अधिकारियों के मामले में सीएम से समन्वय कर आदेश प्राप्त करेगा। जिसके बाद ही उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी जबकि अन्य वर्ग 2, 3 और 4 के मामले में प्रशासकीय विभाग के अनुमोदन के आधार पर जांच एजेंसी द्वारा निर्णय लिया जा सकेगा।


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