MP High court on Employee Honorarium : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कर्मचारी के हित में बड़ा फैसला सुनाया है। दरअसल कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2008 से 2019 के बीच की मानदेय राशि के अंतर्गत से भुगतान नहीं किया गया है। सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करने के बाद हेल्पलाइन की सूचना और सरकार द्वारा स्वीकृति के बावजूद उसके मानदेय की अंतर राशि बकाया है।
जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा है कि सीएम हेल्पलाइन की सूचना और सरकार द्वारा स्वीकृति मिलने के बावजूद पंचायत सचिव को मानदेय की राशि का भुगतान नहीं किया जाना वाकई गलत है। वहीं सरकार के इस रवैया पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी के जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि यदि याचिकाकर्ता मानदेय पाने का पात्र है तो उसे 30 दिन के भीतर मानदेय की अंतर राशि का भुगतान किया जाना चाहिए।
क्या है मामला
याचिकाकर्ता सत्येंद्र कुर्मी नरसिंहपुर के पलोहा में ग्राम पंचायत सचिव के पद पर पदस्थ थे। उनकी तरफ से अधिवक्ता सुशील मिश्रा द्वारा पक्ष रखा गया। जिसमें दलील पेश करते हुए कहा गया कि उन्हें वर्ष 2008 से 2019 के बीच की मानदेय अंतर राशि 13 लाख 27 हजार रुपए का भुगतान नहीं किया गया है।
जुलाई 2021 में राज्य शासन के वित्त विभाग द्वारा राशि की स्वीकृति की गई थी। इस मामले में याचिकाकर्ता द्वारा जिला प्रशासन स्तर पर कई अभ्यावेदन भी पेश किए गए। सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराने के बाद राशि स्वीकृति की सूचना प्रदान की गई थी।
बावजूद इसके पंचायत सचिव को मानदेय राशि का भुगतान नहीं किया गया। जिसके बाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता को अभ्यावेदन के साथ राज्य सरकार की स्वीकृति और सीएम हेल्पलाइन की सूचना की प्रति मुख्य कार्यपालन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने की व्यवस्था दी गई है। नियमानुसार पंचायत सचिव को उसके अंतर मानदेय राशि 13 लाख रुपए का भुगतान 30 दिन के भीतर सुनिश्चित किया जाना है।