नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। आरबीआई की मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक (RBI’s monetary policy review meeting) का तीसरा दिन था। इस दौरान रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट (Repo Rate) एक बार फिर से वृद्धि का ऐलान किया गया। दरअसल रेपो रेट दर को 0.5% बढ़ाया गया है। वहीं अब रेपो रेट बढ़ कर 5.4 फीसद से 5.9 फीसद पहुंच गया है। रेपो रेट बढ़ने का एक तरफ जहां सीधा असर लोन पर लगने वाली ब्याज दर (Loan Interest Rate) पर पड़ेगा। वही सभी तरह के लोन अब महंगे हो जाएंगे। बता दें कि बीते 3 साल में रेपो रेट की वृद्धि अभी तक सबसे अधिक है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा इस साल लगातार चौथी बार रेपो रेट में वृद्धि की घोषणा की गई। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) ने इस मीटिंग में लिए गए फैसले की जानकारी दी। बता दे कि मई 2022 से अब तक रेपो रेट में 1.90 फीसद की वृद्धि देखी जा चुकी है।
दरअसल महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में इजाफा किया गया है। कई सेंट्रल बैंक द्वारा ब्याज दर में इजाफा करने के बाद माना जा रहा था कि केंद्रीय बैंक द्वारा एक बार फिर से रेपो रेट में वृद्धि की जा सकती है। इससे पहले अमेरिकी फेड रिजर्व द्वारा ब्याज दर में वृद्धि की गई थी। जिसका सीधा असर रुपए पर नजर आ रहा था। रुपए पर दबाव बढ़ने के कारण एक बार फिर से रेपो रेट में बढ़ोतरी की घोषणा हुई है।
महत्वपूर्ण पॉइंट्स
- वही रेपो रेट वृद्धि में MPC के 6 सदस्यों में से पांच ने वृद्धि का समर्थन किया है जबकि शक्तिकांता दास का कहना है कि कोरोना महामारी समेत रूस यूक्रेन युद्ध और विभिन्न देशों के नीतिगत दर में आक्रमक वृद्धि के कारण महंगाई में भारी वृद्धि देखी जा रही है। जिसके कारण यह निर्णय लिया गया है।
- वहीं आरबीआई गवर्नर ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि जियो पोलिटिकल तनाव से ग्रोथ पर असर देखने को मिल रहा है। सप्लाई की चिंता से महंगाई दर में वृद्धि हो रही है। ग्रामीण मांग में सुधार की अवस्था बरकरार है जबकि आरबीआई ने अनुमान जताते हुए कहा है कि फाइनेंसियल ईयर 2023 के तीसरे क्वार्टर में जीडीपी ग्रोथ 4.6 रहने की संभावना है।
- जबकि फिनेंशियल ईयर 24 के क्वार्टर 1 की रियल जीडीपी ग्रोथ 7.2% पर रह सकती है। हालांकि आरबीआई के अनुमान की माने तो FY 2024 के क्वार्टर 1 में महंगाई दर 5% की वृद्धि देखी जा सकेगी।
- वहीं आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अगर तेल के दाम में नरमी बनी रही तो महंगाई से राहत मिलने के आसार हैं। हालांकि इतना स्पष्ट किया गया है कि वैश्विक संकट के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी मजबूत स्थिति में है।
- महंगाई को लेकर कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स का अनुमान भी 6.7% जताया गया है। आरबीआई गवर्नर का कहना है कि अभी भारत की जीडीपी ग्रोथ सबसे बेहतर है। निवेश में लगातार वृद्धि जारी है। फॉरेक्स रिजर्व बना हुआ है।
- आरबीआई गवर्नर ने महंगाई और रुपए की गिरावट पर कहा है कि डॉलर की मजबूती का असर दुनिया की करेंसी पर देखने को मिल रहा है। सभी करेंसी पर दबाव बना हुआ है जबकि लिक्विडिटी बनी हुई है। बाजार में नकदी उपलब्ध है। वित्तीय स्थिरता लाने की कोशिश जारी है।
- इसके अलावा बैठक में फिनेंशियल मार्केट में बदलाव लाने के लिए ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेट्स को लेकर बड़ी घोषणा की गई है। ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेट्स को रेगुलेट करने का प्रस्ताव दिया गया है। ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेटर के लिए आरबीआई के रेगुलेशन नियम लागू होंगे।
क्या है रेपो रेट
आसान भाषा में कहें तो रेपो रेट का मतलब रिजर्व बैंक द्वारा अन्य बैंकों को दिए जाने वाले कर्ज की दर है। बैंक रेपो रेट के जरिए ग्राहकों को लोन देती है। रेपो रेट कम होने पर ग्राहक को कम ब्याज दर में लोन उपलब्ध कराए जाते हैं। जिससे लोन के कर्ज की दर सस्ती होती है। वही रेपो रेट बढ़ने की स्थिति में इसका बड़ा प्रभाव लोन की ब्याज दर में पड़ता है।
रेपो रेट बढ़ने से क्या पड़ेगा प्रभाव
- रेपो रेट में हुई 5.0 की वृद्धि से कॉस्ट ऑफ बॉरोइंग बढ़ेगी। इसका अर्थ है कि उधारी की लागत बढ़ जाएगी। लोन महंगे होंगे, मकान की बिक्री भी प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा रियल स्टेट बिल्डर कीमत वृद्धि करेंगे। रियल एस्टेट मार्केट की रिकवरी भी प्रभावित हो सकती है।
- होम लोन पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा। होम लोन की किस्ते बढ़ेंगे। साथ ही एमसीएलआर, बेस रेट आदि पर इसका असर दिखेगा।
- इसके अलावा रेपो रेट बढ़ने की स्थिति में व्हीकल लोन, पर्सनल लोन, बिजनेस लोन, एजुकेशन लोग और महंगे होंगे। बैंक इन के ब्याज दर में वृद्धि करेगी।
किसे होगा फायदा
हालांकि रेपो रेट में बढ़ोतरी का फायदा वैसे ग्राहकों को मिलेगा, जिन्होंने अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट करा रखी है।
4 साल में कितनी बढ़ी है रेपो रेट
- 30 सितम्बर 2022 — 5.90% — 0.5%
- 5 अगस्त 2022 – 5.40% —- 0.5%
- 8 जून 2022 —- 4.90% — 0.5%
- मई 2022 —- 4.40% — 0.4%
- 09 अक्टूबर 2020 — 4.00% – 0.00%
- 06 अगस्त 2020 – 4.00% – 0.00%
- 22 मई 2020 – 4.00% – 0.40%
- 27 मार्च 2020 – 4.40% – 0.75%
- 6 फरवरी 2020 – 5.15% – 0.25%
- 07 अगस्त, 2019 – 5.40% – 0.35%
- 06 जून, 2019 — 5.75% – 0.25%
- 04 अप्रैल, 2019 — 6.00% – 0.25%
- 07 फरवरी, 2019 – 6.25% – 0.25%