भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) द्वारा Pensioners के पेंशन नियम में संशोधन कर इसपर जल्द बड़ा फैसला लिया जाएगा। दरअसल मध्य प्रदेश के सेवानिवृत कर्मचारियों (Retired Employees)-पेंशनर्स के लिए बेहद महत्वपूर्ण खबर है। शिवराज सरकार (Shivraj government) द्वारा मध्यप्रदेश सिविल सेवा पेंशन नियम (MP Civil Service Pension Rules) में संशोधन करने की तैयारी की जा रही। इसके लिए समिति का गठन किया गया है। वहीं राज्य कर्मचारी आयोग से भी संचालनालय ने सुझाव मांगे हैं।
जिसके बाद अब सरकार पेंशन से जुड़े नियम में बदलाव कर रही है। जानकारी की माने तो सेवानिवृत्त होने के तत्काल बाद यदि किसी अधिकारी कर्मचारी के पेंशन प्रकरण को अंतिम रूप देने में विलंब किया जाता है तो ऐसे संबंधित अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ अर्थदंड वसूला जाएगा। उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बता दें की किसी कर्मचारी के रिटायर होने के बाद Pension मामले को अंतिम रूप देने ने 3 से 4 महीने लग जाते हैं। जिससे कर्मचारी और Pensioners को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार द्वारा समिति का गठन किया गया है।
इस समिति में कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। बता दे के पेंशनर्स के पेंशन, भविष्य निधि और बीमा संचालनालय के नियम में संशोधन के लिए समिति का गठन किया गया है। इसके बाद अधिकारी संघ के अशोक शर्मा सहित पेंशनर्स एसोसिएशन मध्य प्रदेश के अध्यक्ष श्याम जोशी और लघु वेतन कर्मचारी संघ के महेंद्र शर्मा को इसमें सदस्य नियुक्त किया गया है।
इतना नहीं मध्यप्रदेश सिविल सेवा पेंशन नियम 1976 के प्रावधान को भी सरल करने के लिए सुझाव मांगे गए हैं। राज्य कर्मचारी आयोग से भी संबंध में कर्मचारी संगठन से चर्चा कर सुझाव की बात कही गई है। इस मामले में पेंशन भविष्य निधि और बीमा संचालक जेके शर्मा का कहना है कि पेंशंस की सुविधा के लिए कई महत्वपूर्ण कदम मध्य प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए हैं। अब विचार विमर्श कर पेंशन प्रकरण को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया को भी सरल बनाया जाएगा। इसके लिए प्रतिवेदन वित्त विभाग को सौंपा जाएगा।
मामले में मध्य प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गणेश दत्त जोशी का कहना है के पेंशन नियम में अविवाहित पुत्रियों के आयु बंधन को समाप्त करना चाहिए। फिलहाल पेंशन नियम में पुत्रियों को 25 वर्ष की पेंशन मिलती है। इसके अलावा पेंशनर्स की महंगाई राहत के लिए बढ़े हुए रकम की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए। इसके लिए अभी छत्तीसगढ़ की सहमति का इंतजार करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में बीच का रास्ता निकाल कर पेंशनर्स को महंगाई राहत में मदद दी जानी चाहिए।
ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश में हर साल डेढ़ हजार से अधिक कर्मचारी रिटायर होते हैं। ऐसी स्थिति में उनके पेंशन प्रकरण को नियम अनुसार समय से पूर्व ही अंतिम रूप दे देना चाहिए लेकिन Retired र्मचारियों को लगातार समस्या का सामना करना पड़ता है। वहीं उनके पेंशन संबंधित मामले निपटाने में 3 से 4 महीने का वक्त लग जाता है। इससे संबंधित विभाग कोषालय की सेवा पुस्तिका भेजते हैं। जिससे वेतन निर्धारण संबंधित सत्यापन कार्य में पेंशनर्स को 3 से 4 महीने का विलंब होता है। इस स्थिति में किसी अधिकारी कर्मचारी की जिम्मेदारी तय नहीं होती है। जिसके बाद अब इस पर संशोधन की तैयारी की जा रही है।