चार रन देकर छह विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाने वाले क्रिकेटर ने लिया संन्यास, फेन्स में मायूसी

Atul Saxena
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट।  भारतीय क्रिकेट इतिहास में गेंदबाजी का रिकॉर्ड बनाने वाले खिलाडी स्टुअर्ट बिन्नी ने संन्यास की घोषणा कर क्रिकेट प्रेमियों को चौंका दिया है।  तेज गेंदबाज स्टुअर्ट बिन्नी से क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास की घोषणा की है। महेंन्द्र सिंह धोनी की कप्तानी में डेब्यू करने वाले 37 साल के इस खिलाड़ी ने अपने छोटे से कैरियर में ही क्रिकेट को अलविदा कहकर अपने फेन्स को मायूस कर दिया है।

1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य तेज गेंदबाज रोजर बिन्नी के बेटे तेज गेंदबाज स्टुअर्ट बिन्नी ने 2014 में एक दिवसीय क्रिकेट में गेंदबाजी का एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया है जिसे अभी तक कोई तोड़ नहीं पाया है। स्टुअर्ट बिन्नी ने बांगला देश के खिलाफ मैच में महज चार रन देकर छह विकेट लिए थे। भारत के एक दिवसीय के इतिहास में ये किसी भी  भारतीय गेंदबाज का ये सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।  इससे पहले अनिल कुम्बले ने 1993 में 12 राण देकर रन देकर विकेट लिए थे।

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स्टुअर्ट बिन्नी के रिकॉर्ड्स 

सीधे हाथ से बल्लेबाजी करने वाले स्टुअर्ट बिन्नी ने 2014 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इंग्लैण्ड के खिलाफ डेब्यू किया था और आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच 2016 में खेला था। स्टुअर्ट बिन्नी ने अपने छोटे से क्रिकेट कैरियर में 6 टेस्ट मैच, 14 वनडे और 3 टी20 मैच खेले हैं। टेस्ट क्रिकेट में 194 रन 3 विकेट , वनडे में 230 राण 20 विकेट और टी 20 में ३५  विकेट शामिल है।

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इस मैच ने ख़त्म किया बिन्नी का कैरियर

स्टुअर्ट बिन्नी के लिए वेस्टइंडीज के साथ खेला गया एक मैच उनके कैरियर के लिए घातक बन गया।  2016 में खेले गए टी 20 मुकाबले में बिन्नी की 5 गेंदों पर 5 छक्के लगाकर वेस्ट इंडीज के खिलाड़ लुइस ने धमाका कर दिया था।  आखिरी गेंद पर लुइस छक्का लगाने से चूक गए थे।  बिन्नी ने इस ओवर में कुल 32 रन दिए थे जिसमें 5 छक्के, एक वाइड और एक सिंगल शामिल है।   इस मैच के बाद स्टुअर्ट  बिन्नी कैरियर पर सवालिया निशान लग गए। इसके बाद बिन्नी ज्यादा क्रिकेट नहीं खेल सके और आज उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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