अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष ने बना दिया आदिवासियों का भगवान, ऐसी है बिरसा मुंडा की कहानी

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा(Birsa Munda) की जयंती आज देश में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने पिछले दिनों 10 नवम्बर को बिरसा मुंडा के जन्मदिन 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। बिरसा मुंडा की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  15 नवम्बर को भोपाल के जम्बूरी मैदान में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगे।

बिरसा मुंडा अंग्रजों के खिलाफ संघर्ष (struggle against the British by Birsa Munda)का एक ऐसा नाम है जिसे आजादी के महानायकों की श्रेणी में रखा जाता है।बिरसा मुंडा का जन्म  आदिवासी परिवार में 15 नवम्बर 1875 को झारखण्ड (तत्कालीन बिहार) के गांव उलीहातू में हुआ था। मुंडा जनजातीय समुदाय छोटा नागपुर पठार के क्षेत्र में रहता था।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....