जनजातीय समुदाय में जन्म होने के कारण बिरसा मुंडा का बचपन माता पिता के साथ एक गांव से दूसरे गांव में जंगल में ही बीता। प्रारंभिक शिक्षा सलगा में शिक्षक जयपाल नाग से ली। 1886 से 90 के बीच बिरसा मुंडा सरदारों के आंदोलन से जुड़ गए इस आंदोलन ने उनके मन पर गहरा प्रभाव छोड़ा और वे अंग्रेज विरोधी कार्यक्रमों में जुड़ गए।
अकाल में की आदिवासियों की सेवा कहलाये “धरती बाबा”
1894 में जब छोटा नागपुर पठार क्षेत्र में भयंकर अकाल पड़ा तो बिरसा मुंडा ने अपने साथियों के साथ आदिवासियों की खूब सेवा की, लोग उन्हें धरती बाबा के नाम से पुकारने लगे। आदिवासियों के हालात देखकर उन्होंने आदिवासियों को इकठ्ठा किया और 1 अक्टूबर 1894 से अंग्रजों से लगान (कर) माफ़ी के लिए आंदोलन शुरू कर दिया। 1895 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और हजारी बाग़ सेन्ट्रल जेल में दो साल के लिए कैद में रखा गया। सजा पूरी होने के बाद बिरसा मुंडा ने अंग्रजों के खिलाफ संघर्ष और तेज कर दिया।
अंग्रेजों की नाक में दम किया कहलाये “भगवान”
बिरसा मुंडा के संघर्ष को देखते हुए आदिवासी समाज के लोग उन्हें पूजने लगे और उन्हें भगवान मानने लगे। 1897 से 1900 के बीच मुंडा आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ लगातार छोटे युद्ध होते रहे। मुंडा आदिवासियों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था। अगस्त 1897 में बिरसा मुंडा और उनके चार सौ सिपाहियों ने तीर कमान से लैस होकर खूंटी थाने पर हमला बोल दिया, जिसमें उनकी जीत हुई।
रांची जेल में ली अंतिम सांस
इसी तरह 1898 में तांगा नदी के किनारे मुंडा सैनिकों की भिड़ंत अंग्रेज सैनिकों से हुई इसमें पहले तो अंग्रेजी सेना हार गई बाद में उसने हमला बोलते हुए कई आदिवासी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर के जमकोपाई जंगल से बिरसा मुंडा को भी अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। 9 जून 1900 को रांची जेल में दी गई यातनाओं के चलते बिरसा मुंडा का निधन हो गया।
बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी समाज के लोग बिरसा मुंडा को भगवान् की तरह पूजते हैं। रांची के कोकर में डिस्टलरी पुल पे पास बिरसा मुंडा की समाधि है वहीँ पास में उनकी मूर्ति भी है।
केंद्र सरकार ने 10 नवम्बर 2021 को बिरसा मुंडा के संघर्ष को चिरस्थाई रखने के लिए 15 नवम्वर उनकी जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिरसा मुंडा को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी भगवान बिरसा मुंडा के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।