UGC PhD Admission : आयोग ने विश्वविद्यालय-प्राचार्यों को लिखा पत्र, पीएचडी रेगुलेशन को संशोधित करने के निर्देश, नए प्रावधान से छात्रों को मिलेगा लाभ

Kashish Trivedi
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UGC PhD Admission: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पीएचडी की नई गाइडलाइन जारी की गई है। जिसमें कई नवीन प्रावधान किए गए हैं। इससे संबंधित गजट का प्रकाशन कर दिया गया है। जिसका लाभ सीधे सीधे पीएचडी उम्मीदवारों को मिलेगा। पीएचडी में प्रवेश की तिथि से अधिकतम 6 वर्ष तक में छात्रों को पीएचडी पूरे करने की सुविधा प्रदान की जाएगी। दोबारा रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया होने पर अधिकतम 2 वर्ष का अतिरिक्त समय भी उपलब्ध कराया जाएगा।

पीएचडी को पूरा करने की कुल अवधि प्रवेश से 10 वर्ष तक

पीएचडी कार्यक्रम की अवधि 3 साल निर्धारित की गई है। कोर्स वर्क को भी इसमें शामिल किया गया है। हालांकि 8 वर्ष के अंत तक पीएचडी कार्यक्रम में प्रवेश लेने वाले छात्रों को कोर्स पूरा करना अनिवार्य होगा। जबकि महिला शोधार्थी और दिव्यांग को 2 वर्ष की अतिरिक्त छूट दी गई है। ऐसी स्थिति में पीएचडी को पूरा करने की कुल अवधि प्रवेश से 10 वर्ष तक होनी चाहिए। इससे पूर्व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग कुलपति और कॉलेज प्राचार्य से पीएचडी के पुरस्कार के लिए संशोधित न्यूनतम मानक और प्रक्रिया को लागू करने के आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

अपने लिखे पत्र में यूजीसी ने कहा है कि अनुसंधान विद्वानों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित शोधकर्ता और जिज्ञासु खोजकर्ता बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। यूजीसी द्वारा 7 नवंबर को नए नियम को अधिसूचित किया गया है। नए नियम के तहत अब 4 साल का स्नातक पाठ्यक्रम पूरा करने वाले छात्र डॉक्टरेट कार्यक्रम में सीधे प्रवेश लेने की पात्रता रखेंगे।

महिला पीएचडी शोधार्थियों को लाभ 

नई गाइडलाइन के तहत महिला पीएचडी शोधार्थियों को पीएचडी कार्यक्रम की पूरी अवधि में 240 दिनों के लिए मातृत्व अवकाश प्रदान किया जाएगा। पीएचडी कार्यक्रम में प्रवेश के लिए यूजीसी नेट, यूजीसी सीएसआईआर गेट अधिक परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले छात्रों को प्राथमिकता दी जाएगी।

नवीन प्रावधान 

संस्थान द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा में 70% लिखित और 30% अंक साक्षात्कार मौखिक परीक्षा के लिए निर्धारित होंगे। स्थाई रूप से नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर, गाइड बन सकेंगे। इसके अलावा नए नियम के तहत ऐसे पीएचडी स्कॉलर कि कम से कम 5 शोध प्रकाशित हुए होंगे। वह अपने संस्थान विश्वविद्यालय में गाइड बन सकेंगे जबकि दूसरे विश्वविद्यालय में उन्हें सह पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाएगा।


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