सिंधिया के पत्र की अनदेखी, मंत्री के दावे की भी निकली हवा, कैबिनेट में नहीं आया ये प्रस्ताव

ग्वालियर। उत्तर भारत के ऐतिहासिक ग्वालियर व्यापार मेले को उसका पुराना वैभव और  रौनक लौटाने के लिए किये जा रहे प्रयासों को धक्का लगा है। यहाँ लगने वाले ऑटोमोबाइल सेक्टर में बिकने वाले वाहनों के रजिस्ट्रेशन और रोड टैक्स में 50 प्रतिशत की छूट की उम्मीद फिलहाल धूमिल हो गई है। खास बात ये है कि कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुद इसके लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा था लेकिन इसकी भी अनदेखी की गई। 

प्रदेश में 15 सालों बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस ने ग्वालियर व्यापार मेले की भव्यता एक बार फिर लौटाने की बात कही थी और इसके लिए प्रयास शुरू किये थे। लम्बे समय से भंग पड़े मेला। प्राधिकरण का गठन किया गया और सुविधाएं बढ़ाने की बात कही गई।  मेले की  रौनक रहने वाले ऑटोमोबाइल सेक्टर को फिर से लगाने की बात की गई और भरोसा दिया गया कि इस बार 50 प्रतिशत टैक्स में छूट दिलवाई जाएगी। लेकिन इस प्रयास को उस समय जोर का धक्का लगा जब इस प्रस्ताव की चर्चा कैबिनेट की बैठक में हुई ही नहीं। गौरतलब है कि ऑटोमोबाइल व्यापारियों और  चेंबर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारियों ने सरकार से मांग की थी कि मेले में बिकने वाले वाहनों के रजिस्ट्रेशन और रोड टैक्स में 50 प्रतिशत की छूट दी जाये। इस मांग के बाद कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर छूट देने का अनुरोध किया। सिंधिया के पत्र के बाद कमलनाथ सरकार में  सिंधिया समर्थक परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत ने 21 नवम्बर को ग्वालियर दौरे पर दावा किया था कि उन्होंने विभाग की तरफ से नोटशीट बना दी है कैबिनेट की बैठक में वे 50 प्रतिशत छूट का प्रस्ताव रखेंगे इस पर फैसला हो जाएगा।  लेकिन ऐसा हुआ ही नहीं । बताया जा रहा है कि बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में गोविन्द सिंह राजपूत ने इस प्रस्ताव को रखा ही नहीं । जिसके चलते इसपर कोई चर्चा ही नहीं की गई।  अब ये समझ से परे है कि सिंधिया समर्थक मंत्री ने ही सिंधिया के प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में क्यों नहीं रखा?


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