पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा में बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए सरकार की लापरवाही पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पोर्टल के झंझट में उलझकर किसानों को मुआवजा देने में देरी कर रही है। हुड्डा खुद ट्रैक्टर चलाकर बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा कर किसानों की परेशानियों को देखा। उनका कहना है कि सरकार तुरंत 60 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा और मकानों, दुकानों व फसलों का पूरा मुआवजा दे। हुड्डा ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों को जिम्मेदार ठहराया।
पोर्टल-पोर्टल खेल रही भाजपा
हुड्डा ने कहा कि भाजपा कई सालों से मुआवजा देने की बजाय पोर्टल-पोर्टल की व्यवस्था में उलझी हुई है। इस वजह से अधिकांश आपदा पीड़ित किसानों को आर्थिक मदद नहीं मिलती। जो कुछ किसानों को मिलता है, उसमें भी महीनों का समय लग जाता है। उन्होंने कांग्रेस और पीड़ितों की मांग दोहराई कि पोर्टल का झंझट छोड़कर सीधे किसानों को मुआवजा दिया जाए। हुड्डा ने कहा कि सरकार की इस लापरवाही से किसानों की फसल और जीवन प्रभावित हो रहा है।
ट्रैक्टर से बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा
हुड्डा ने महम खंड के नौ और कलानौर खंड के पांच गांवों का ट्रैक्टर चलाकर दौरा किया। उन्होंने जलभराव और बर्बाद फसलों का जायजा लिया। खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो गई है और आने वाली फसल की उम्मीद भी कम है। इसलिए उन्होंने कहा कि किसानों को कम से कम 60-70 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा मिलना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने मकानों, दुकानों और अन्य नुकसान का मुआवजा देने की भी मांग की।
बीजेपी की नाकामी और केंद्र की भूमिका
हुड्डा ने बताया कि 1995 में कांग्रेस सरकार ने बाढ़ प्रभावित किसानों को तत्काल मुआवजा दिया था। जबकि मौजूदा भाजपा सरकार ने नहरों की सफाई, तटबंध और जल निकासी के इंतजाम नहीं किए। बारिश शुरू होते ही शहर, सड़क और खेत तालाब में बदल गए। उन्होंने कहा कि भाजपा ने पोर्टल को जिम्मेदारी से भागने और मुआवजे में देरी का जरिया बना लिया। केंद्र सरकार को भी बाढ़ प्रभावित हरियाणा, पंजाब और हिमाचल के लिए राहत पैकेज का ऐलान करना चाहिए।





