भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मार्च 2021 का महिना खत्म होने को है, लेकिन कोरोना (Coronavirus) के आंकड़े कम होने का नाम ही नही ले रहे है। MP में रोजाना 2000 से ज्यादा नए केस सामने आ रहे है। पिछले 24 घंटे में फिर 2173 नए कोरोना पॉजिटिव मिले है और 10 की मौत हो गई।चौंकाने वाली बात तो ये है कि MP में रविवार को टोटल लॉकडाउन (Lockdown 2021) था और सोमवार को होली की छुट्टी के साथ पुलिस द्वारा सख्ती भी की गई थी, बावजूद इसके आंकड़े भयावह है।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार होली के दिन मध्य प्रदेश (MP) में 2173 केस सामने आए है।इसमें 60 प्रतिशत केस तो भोपाल, इंदौर और जबलपुर से ही सामने आए है। पिछले 24 घंटे में इंदौर में 628, भोपाल में 497, जबलपुर में 148, रतलाम 79, ग्वालियर 52, खरगोन 79 और बैतूल 65 नए मरीज मिले, वही 10 ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
इसके पहले रविवार को लॉकडाउन के दिन 2323 केस सामने आए थे औऱ 9 ने जिंदगी हार ली। वर्तमान में 12 शहरों में लॉकडाउन लगाया गया है, बावजूद इसके ग्वालियर चंबल के साथ मालवा में भी आंकड़े तेजी से बढ़ रहे है। इन आंकड़ों के बाद MP में एक्टिव मरीजों की संख्या 17000 के पार हो गया है।इन आंकड़ों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में स्थिति कैसी हो सकती है।
वही इन आंकड़ों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) ने कहा कि सोचना होगा कोरोना संक्रमण की चेन को कैसे तोड़े, इसे फैलने से रोकना है। छोटे शहरों में बड़ी संख्या में प्रकरण सामने आ रहे हैं। रतलाम और बैतूल जैसे शहरों में प्रकरणों की संख्या सौ से अधिक हो रही है। यह चिंता का विषय है। हमारी कोशिश है सभी शहरों के अस्पतालों में पर्याप्त सुविधा, ऑक्सीजन और आवश्यक सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पड़ोसी राज्य में कोरोना के बढ़ते प्रकरणों को देखते हुए वहाँ से आ रहे संक्रमण पर नियंत्रण के उपायों के लिए भी ब्रेन स्टॉर्मिंग जारी है। शाम को पुनः कोरोना की समीक्षा बुलाई है और यदि आवश्यक हुआ तो कुछ निर्णय लिए जाएंगे। हमारा हरसंभव प्रयास है कि लम्बी अवधि का लॉकडाउन नहीं हो। गरीब की रोजी-रोटी चलनी चाहिए, रोजगार और व्यापार आवश्यक है। वर्तमान में शनिवार रात से सोमवार सुबह तक के लॉकडाउन की व्यवस्था रहेगी।
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Pooja Khodani
खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते।
"कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ।
खबरों के छपने का आधार भी हूँ।।
मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ।
इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।।
दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ।
झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।"
(पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)