MPPSC मामले के बीच दिग्विजय ने किया UPSC को लेकर ट्वीट, लिखा ‘मुझे भी जानना है चेयरमैन का एजुकेशन प्रोफाइल’

UPSC Chairman Manoj Soni : विवाद और सवाल जितनी इनकी चर्चा करें, यह उतने ही गहरे होते जाते हैं। और सोचिए अगर राजनेता इस चर्चा में उतर आएं तो फिर आलम क्या होगा। पहले बात करते हैं एमपीपीएससी में आए उस सवाल की जिसने पक्ष और विपक्ष को आमने-सामने खड़ा कर दिया। भारत छोड़ो आंदोलन के सवाल ने मानों विपक्ष को एक हाथ में तलवार और एक हाथ में भाला दे दिया।

कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और अन्य कांग्रेसी नेताओं ने सीएम शिवराज और बीजेपी को न केवल जमकर घेरा बल्कि एमपीपीएससी में पदस्थ अधिकारियों को अनपढ़ तक कह डाला। उम्मीदवारों ने भी भारत छोड़ो आंदोलन के सवाल पर सरकार को जमकर घेरा। उन्होने कहा कि 9 अगस्त को सभी राजनेताओं ने भारत छोड़ो आंदोलन के ऐतिहासिक दिन को याद कर ट्वीट किए थे। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 8 अगस्त को ही ट्वीट कर इस दिन को याद किया था। एमपीपीएससी द्वारा पूछे गए सवाल में 8 अगस्त 1942 की तारीख ऑप्शंस में ना होने की वजह से सही सवाल को भी राजनीतिक प्रभाव के कारण पीएससी द्वारा कैंसिल कर दिया गया। इसी तरह की समस्या एक अन्य सवाल में भी आई जिसके बाद आयोग ने उस सवाल को भी त्रुटि मानकर कैंसिल कर दिया। छात्रों का कहना है कि यह दोनों प्रश्न ना ही विवादित प्रश्न है ना ही इनमें कोई गलती है, इसलिए अब इनके लिए हम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे।

UPSC चेयरमेन की योग्यता को लेकर शुरू हुआ विवाद

यह विवाद अब तक सुलझा नहीं था की ट्विटर पर यूपीएससी के चेयरमैन को लेकर नए सवाल खड़े हो गए। इतना ही नहीं..एक शख्स ने तो यूपीएससी 2022 और 2023 की पूरी प्रक्रिया को ही scam दर्शा दिया। इस शख्स ने 2023 में हुए कठिन प्रीलिम्स एग्जाम और 2023 में ही यूपीएससी के चेयरमैन बनाए गए मनोज सोनी को लेकर ट्विटर पर एक थ्रेड जारी किया। इस शख्स ने हर बार अपने ट्वीट को एक रिसर्च ट्वीट बताकर प्रूफ लिखकर अपनी बात सोशल मीडिया पर रखी।

UPSC की चयन प्रक्रिया पर पर सवालिया निशान

रौनक सिरोलिया नाम के इस शख्स ने यूपीएससी की चयन प्रक्रिया को गुजरात मॉडल से प्रभावित बताया। अपने पोस्ट के रौनक ने बताया कि कैसे यूपीएससी जो एक संवैधानिक संस्थान है उसे RSS. मशीनरी में बदला जा रहा है। अपनी इस पोस्ट में उन्होंने यूपीएससी के चेयरमैन मनोज सोनी को एक कट्टरसंघी की उपाधि भी दे दी। उन्होंने यूपीएससी 2023 के दोनों पेपरों को अब तक का सबसे कठिन पेपर बताया है साथ ही प्रीलिम्स परीक्षा में चयनित हुए गुजरात राज्य के छात्रों के रोल नंबर और चयन पर सवालिया निशान खड़े किए हैं। इसके बाद रोहित ने यूपीएससी के मशहूर टीचर विकास दिव्यकीर्ति का एक वीडियो शेयर किया जिसमें वह यूपीएससी प्रीलिम्स 2023 के पेपर की कठोरता को लेकर सवालिया निशान खड़े कर विरोध जाहिर किया।

कांग्रेस की हुई एंट्री

रौनक के इन पोस्ट में राजनीतिक मोड़ तब आया जब दिग्विजय सिंह ने अपने ट्विटर से इनके पोस्ट को रिट्वीट कर सरकार को भेजना शुरू किया। दिग्विजय ने लिखा और क्या ही प्रूफ चाहिए, साथ ही दिग्विजय ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज से इंक्वायरी की मांग तक कर डाली। अब देखना यह होगा कि विद्यार्थियों, पक्ष और विपक्ष के बीच चल रही संवैधानिक आयोगों के संविधानिक पदों पर बैठे लोगों की योग्यता और क्षमता की इस खींचतान का क्या नतीजा सामने आता है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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