Akshaya Tritiya 2023 : बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने देशवासियों को अक्षय तृतीया की शुभकामनाएं दी हैं। ये पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है। इस बार अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को मनाई जाएगी। ये बहुत ही शुभ पर्व माना जाता है और मान्यता है कि इस दिन जो भी कार्य किए जाते हैं उसका फल मिलता है। इस दिन भगवान परशुराम का जन्म भी हुआ था।
कैलाश विजयवर्गीय ने इस पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ‘अक्षय तृतीया का पर्व हमें धार्मिक, सांस्कृतिक, समृद्ध आर्थिक स्थिति, फलती-फूलती कृषि और समाज को परोपकार की भावना के आधार पर जोड़ता है। पूरे देश में इस पर्व को अलग-अगल इलाकों में अलग-अलग तरीके से मनाते हों पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा सभी स्थानों पर होती है। माना जाता है कि अक्षय तृतीया पर सबसे ज्यादा विवाह होते हैं। राजस्थान में अखा तीज के दिन सबसे ज्यादा जोड़े वैवाहिक बंधन में बंधते हैं। यह भी माना जाता है कि इस दिन बंधन में बंधने वालों की गांठ कभी नहीं खुलती है। बंगाल में हल खता के दिन नए कार्यों को प्रारम्भ किया जाता है। व्यवसायी गणेश जी और लक्ष्मी जी का पूजन करके अपने नए बही-खाते लिखना प्रारम्भ करते हैं। ओडिसा में भगवान जगन्नाथ की यात्रा शुरु होती है और किसान फसल बोकर मां लक्ष्मी से समृद्धि की कामना करते हैं। ओडिसा में मुथी चुहाना के रूप में मनने वाले पर्व के दिन लोग मांसाहार से बचते हैं। दक्षिण भारत में भगवान विष्णु, लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की जाती है। माना जाता है कि भगवान शंकर ने कुबेर को इसी दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने को कहा था। पंजाब में इसे कृषि पर्व के तौर पर मनाया जाता है। उत्तर भारत में अक्षय तृतीया का अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग महत्व है। शास्त्रों में बताया गया है कि ‘न क्षयः इति अक्षयः’ अर्थात जिसका क्षय नहीं होता वह अक्षय है। हमारे यहां रामनवमी, अक्षय तृतीया, विजय दशमी और कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की एकादशी को अक्षय मुर्हूत माना जाता है। कुछ स्थानों पर गोवर्धन पूजा को भी आधा अबूझ मुर्हूत माना जाता है। बैशाख महीने की तृतीया यानी अक्षय तृतीया को सबसे अच्छा मुर्हूत माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए गए शुभ कर्म के फल का कभी क्षय नहीं होता है। इसी कारण इस तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है।’