कमलनाथ सरकार के इस प्रयास से 23 लाख डिफाल्टर किसानों को मिलेगी राहत

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भोपाल। मध्य प्रदेश में किसान कर्ज माफी को लेकर कमलनाथ सरकार बैंक से वन टाइम सेटलमेंट योजना के तहत एकमुश्त राशि पर लंबे समय से चर्चा कर रही है। शनिवार को इस संबंध में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक हुई। बैठक में सरकार की ओर से बैंक के सामने आफर रखा गया। जिसमें एकमुश्त रकम देने के लिए कहा गया और नॉन–परफॉर्मिंग असेट (एनपीए) पर छूट की बात की गई। 

राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में सरकार बैंक को एनपीए पर छूट देने के लिए राजी करने में कामयाब हो गई है। सरकार ने जो प्रस्ताव बैंक के सामने रखा है उस पर बैंक के प्रतिनिधियों ने हामी भर दी है। अब सरकार के प्रस्ताव पर बैंक के बोर्ड आफ डायरेक्टर को फैसला करना है। एनपीए पर छूट को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने खुद अलग अलग बैंकों के सीएमडी से चर्चा की थी। सरकार की ओर से मुंबई एक टीम भी भेजी गई थी। जिसका नेतृत्व वित्त विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग जैन ने किया था। इस टीम ने बैंक के बड़े अधिकारियों से मुलाकात कर सरकार के प्रस्ताव को उनके सामने रखा। इस प्रस्ताव में सरकार ने कृषि कर्ज जो अब एनपीए में बदल गया है उस पर छूट देने के लिए कहा था। 

वित्त विभाग के अफसरों ने लगातार बैंक के अफसरों से कई दौर में लगातार चर्चा की। जिसके बाद बैंक एनपीए पर 40 से 50 फसीदी तक छूट देने के लिए राजी हो गए हैं। अगर बैंक के इस फैसले पर अंतिम मुहर लग जाती है तो सरकार के 3000 करोड़ रुपए बच जाएंगे। खस्ताहाल सरकारी खजाने में इससे सरकार को काफी मदद मिलेगी। सरकार के इस प्रयास से उन किसानों को बड़ी राहत मिलेगी जिनका लोन एनपीए में तब्दील हो गया है। अब वह भी कर्जमुक्त हो जाएंगे और उनको आगे फसल के लिए लोन मिलने में आसानी होगी। 

23 लाख खाते एनपीए हुए

किसान कर्ज माफी के ऐलान के बाद से बैंकों की आर्थिक हालत खराब है। किसानों ने बैंक में लेने देन बंद कर दिया है। जिससे बैंकों को चिंता सता रही है। दो लाख से अधिक का कर्ज लिए किसानों ने लेने देन बंद कर दिया है। इससे बैंक का कारोबार प्रभावित हुआ है। प्रदेश में किसानों के करीब 23 लाख बैंक खाते ऐसे हैं जो एनपीए में बदल गए हैं। किसान माफी से पहले सरकार ने बैंक से बातचीत कर एनपीए खातों को लेकर बीच का रास्ता निकालने का प्रयास किया। जो अब सफल होता दिखाई दे रहा है। गौरतलब है कि यूपीए सरकार ने कमलनाथ केंद्रीय वाणिज्य मंत्री रहे हैं। कहा जाता है कि उनके बड़े व्यापारिक घरानों में अच्छे संबंध हैं। जिनका उन्हें अब लाभ मिला है।


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