भोपाल। लोकसभा चुनाव के छठे चरण के लिए रविवार को मतदान जारी । मध्य प्रदेश की आठ सीटोंं पर वोट डाले जा रहे हैं। एक महीने से अधिक समय तक अपने अपने क्षेत्र की खाक तलाश करने वाले प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद हो जाएगा। प्रदेश की आठ में से तीन ऐसी सीटें हैं जिनपर देश भर की निगाहें टिकी हैं। इनमें भोपाल, गुना और मुरैना लोकसभा सीट शामिल है।
भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार बनाया है उसके बाद से ही इस सीट पर सभी की निगाहें टिकी हैं। वहीं, बीजेपी ने कांग्रेस की घेराबंदी करने मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारा है। वह इस चुनाव को धर्म और अधर्म की लड़ाई मान रही हैं। लेकिन वह उनके आरोपों के अलावा उनके बयानोंं को लेकर ज्यादा सुर्खियों में रहीं। उन्होंंने अपनी चुनावी सभा के दौरान पहले तो एटीएस चीफ शहीद हेमंत करकरे को लेकर विवादित बयान दिया। फिर उन्होंने बाबरी मस्जिद पर बयान देके अपनी मुश्किलें बढ़ाईं। चुनाव आयोग से उन्हें प्रतिबंध भी झेलना पड़ा। वहीं दिग्विजय सिंह भी प्रतिष्ठा दांव पर है| भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस ने दिग्विजय को मैदान में उतरा, अपने राजनीतिक अनुभव को इस्तेमाल करते हुए दिग्विजय ने काफी हद तक सेंधमारी की कोशिश की है| लेकिन इस सीट पर कांग्रेस को तीन दशक से जीत नहीं मिल पाई है, इसलिए यह कहना मुश्किल है कि पलड़ा किसका भारी होगा| लेकिन यह तय है कि मुकाबला कांटे का है| यही वजह है कि दोनों ही पार्टियों ने यहां भरपूर मेहनत की है और यहां का मुकाबला देश भर में चर्चित है और भोपाल के परिणाम पर देश भर की नजर है|
गुना-मुरैना में प्रतिष्ठा का चुनाव
इस सीट के अलावा गुना सीट पर भी इस बार काफी रोचक मुकाबला है। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया मैदान में हैं। यह सीट सिंधिया परिवार की पारंपरिक सीट है। सिंधिया खुद यहां से 2002 से सांसद हैं। वह यूपीए सरकार के समय केंद्रिय मंत्री भी रहे हैं। वहीं, मुरैना सीट पर भी इस बार दिलचस्प मुकाबले होने है। यहां से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर चुनाव लड़ रहे हैं। वह ग्वालियर सीट छोड़ मुरैना लौटे हैं। सीट बदलने के बाद उनकी साख दांव पर है|
सिंधिया के सामने यादव
गुना सीट की बात की जाए तो यहां से बीजेपी ने केपी यादव को मैदान में उतारा है। यह उनके पहला संसदीय चुनाव है। इस बार के नतीजे सिंधिया के दबदबे और उनके कद का फैसला भी करेंगे। कांग्रेस का दावा है कि वह इस बार 2014 के मुकाबले और बड़े अंतर से सीट जीतेंगे। वहीं, मुरैना सीट भी इस बार हाई प्रोफाइल सीट में शामिल हो गई है। यहां से वर्तमान सांसद अनूप मिश्रा का टिकट काटकर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मैदान में उतारा गया है। मिश्रा का टिकट कटने के बाद से इस सीट पर हलचल तेज हो गई। तोमर 2009 में मुरैना सीट से सांसद चुने गए थे, यहां जातीगत समीकरण उम्मीदवार की किस्मत तय करते हैं। यह सीट बीजेपी का गढ़ रही है। जिसे भेदने के लिए कांग्रेस प्रबल कोशिश कर रही है। तोमर के खिलाफ कांग्रेस ने रामनिवास रावत को उतारा है। वह सिंधिया के काफी करीबी कहे जाते हैं। वहीं, इस सीट पर बीएसपी कैंडिडेट भी मैदान में है जिनकी वजह से यहां मुकाबले त्रिकोणीय हो गया है. बीएसपी के करतार सिंह भड़ाना उम्मीदवार हैं। ग्वालियर में, भाजपा ने नरेंद्र सिंह तोमर के स्थान पर मेयर विवेक शेजवलकर को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने अशोक सिंह पर भरोसा जताया है। ग्वालियर सीट पर विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था।