भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह (Urban Development and Housing Minister Bhupendra Singh) ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है कि अपने अधीनस्थ नगरी निकाय के किसी भी पात्र कर्मचारी की इन परिस्थितियों में मृत्यु होती है तो नियमानुसार दावेदार का दावा प्रस्तुत कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा है कि समय-सीमा में उन्हें 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए।
दरअसल, नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लगातार इन गतिविधियों की समीक्षा भी की जा रही है। आज बैठक में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना (Chief Minister Kovid-19 Yoddha Kalyan Yojana) में नगरीय निकाय के सभी सफाई कर्मचारियों को शामिल किया गया है। इसके साथ ही अन्य अधिकारी-कर्मचारी जो कोविड-19 महामारी के लिए सेवाएँ दे रहे हैं, को भी शामिल किया गया है।
भूपेंद्र सिंह ने कहा कि इन कर्मचारियों की कोविड-19 के कारण अथवा कोविड-19 से संबंधित सेवा के दौरान दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु पर उनके निकटतम परिजन को 50 लाख रुपए राज्य शासन द्वारा दिए जाएंगे। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है कि अपने अधीनस्थ नगरी निकाय के किसी भी पात्र कर्मचारी की इन परिस्थितियों में मृत्यु होती है तो नियमानुसार दावेदार का दावा प्रस्तुत कराना सुनिश्चित करें। समय-सीमा में उन्हें 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए।
वही नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया है कि नगरीय निकायों में करोना कर्फ्यू और कंटेनमेंट जोन लागू किए जा रहे हैं। निकायों द्वारा करोना कर्फ्यू के दौरान आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। कुछ जिलों में करोना कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना करने के साथ ही निर्देशों की अवहेलना करने वाले प्रतिष्ठानों को सील करने वाली टीम में भी निकाय के कर्मचारियों को लगाया गया है।
मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया है कि नगरीय निकायों को जिला प्रशासन द्वारा होम आइसोलेशन के मरीजों को मेडिकल किट वितरण की जिम्मेदारी दी गई है। उसका सभी कर्मचारी बेहतर ढंग से क्रियान्वयन कर रहे हैं। कंटेनमेंट जोन और संक्रमित परिवारों से सामान्य अथवा बायोमेडिकल अपशिष्ट संग्रह की व्यवस्था पृथक से किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।बायोमेडिकल अपशिष्ट के निपटान के लिए निकायों द्वारा निजी इंसीनरेटर के साथ अनुबंध किए गए हैं।
भूपेंद्र सिंह ने बताया है कि जिन छोटे निकायों में इंसीनरेशन संस्थाएँ नहीं हैं, उन्हें भारत सरकार (Indian Government) द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार वैज्ञानिक पद्धति अपनाने के निर्देश दिए गए हैं। निकायों में प्रमुख स्थानों पर सेनेटाइजेशन की कार्यवाही चालू की गई है। स्थानीय स्तर पर दीनदयाल रसोई केंद्र और शहर की स्वयंसेवी संस्था को जोड़कर बाहर से आने वाले श्रमिकों सहित अन्य जरूरतमंदों के भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है।