भितरघात दे सकती है कइयों को मात, बीजेपी-कांग्रेस को इन सीटों पर खतरा

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भोपाल| मध्य प्रदेश के सियासी रण में बीजेपी और कांग्रेस जीत के लिए पूरा जोर लगा रही है| प्र��्याशियों के लिए स्टार प्रचारक मैदान में उतर गए हैं| लेकिन अपनी ही पार्टी से नाराज हुए नेताओं ने मुश्किलें बढ़ा रखी है| भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए भितरघात से निपटना बड़ी चुनौती है। अपनी ही पार्टी से बागी होकर कई बड़े नेता मैदान में ताल ठोक रहे हैं, तो कुछ अंदर से ही नुकसान पहुँचाने की कोशिश में है| डैमेज कण्ट्रोल में बीजेपी असफल रही है, जिससे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी नाराज हैं| सोमवार को उन्होंने देर शाम प्रदेश कार्यालय में बैठक और 50 से अधिक सीटों पर बागियों के उतरने और डैमेज कण्ट्रोल में प्रदेश संगठन की विफलताओं पर नाराजगी जताई| साथ ही बागी नेताओं को मनाने के निर्देश दिए हैं|   

भाजपा अब तक 64 और कांग्रेस करीब 16 नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। वहीं टिकट न मिलने से नाराज नेता अभी वेट-एंड-वॉच की स्थिति में है। ये कई भितरघात भी कर रहे हैं। कुछ सीटों पर तो नाराज नेताओं का विरोध खुलकर सामने आ चुका है। वहीं कई सीटों पर अभी विरोध तो है लेकिन माहौल शांत है| भाजपा के करीब 71 और कांग्रेस के करीब 79 नेताओं ने बागी होकर नामांकन जमा किए थे। इनमें से अधिकतर ने पार्टी की मान-मनौव्वल के बाद नामांकन वापस ले लिया, लेकिन गुटीय राजनीति के तहत नाराज ये नेता अधिकृत प्रत्याशी को सहयोग नहीं कर रहे हैं। बड़े नेताओं की समझाइश के बाद पैर पीछे लेने वाले यह नेता अब भी नाराज हैं और पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं| दोनों ही पार्टियों में टिकट कटने से नाराज वर्तमान विधायकों ने भी स्तिथि को बिगाड़ा है| भाजपा ने 51 और कांग्रेस ने पांच विधायकों के टिकट काटे हैं। इन सभी सीटों पर भितरघात की स्थिति है। इसमें कांग्रेस ने चार टिकट काटे, जबकि एक सीट पर चुनाव न लडऩा तय किया है। वहीं बाहरी और हेलीकाप्टर वाले नेताओं को लेकर भी विरोध है|  भाजपा और कांग्रेस ने जिन सीटों पर दूसरे दलों से आए नेताओं को प्रत्याशी बनाया है, वहां भितरघात पनप रहा है। ऐसी चार दर्जन सीटों पर टिकट के दावेदार रहे नेता अपनी पार्टी के प्रत्याशी को निशाना बना सकते हैं। कांग्रेस ने एक दर्जन और भाजपा ने आधा दर्जन सीटों पर इस तरह प्रयोग किए हैं।

इन सीटों पर कांग्रेस को खतरा 

इंदौर-1 : यहां कांग्रेस और भाजपा दोनों को भितरघात से ख़तरा है| कांग्रेस की प्रीति गोलू अग्निहोत्री को टिकट मिला तो संजय शुक्ला ने विरोध किया| फिर पार्टी ने प्रीती का टिकट काटकर संजय शुक्ला को प्रत्याशी बनाया दे दिया| जिसके बाद नाराज प्रीति ने निर्दलीय नामांकन भर दिया, लेकिन पार्टी के मनाने के बाद मान गईं। उनकी नाराजगी अभी दूर नहीं हुई है। संजय भाजपा के वरिष्ठ नेता विष्णु शुक्ला के बेटे हैं। भाजपा विधायक सुदर्शन गुप्ता से टॉक-शो में जब संजय की कहा-सुनी हुई तो विष्णु ने कहा कि यदि चुनाव नहीं होते तो अपनी ही पार्टी के विधायक सुदर्शन गुप्ता के दांत तोड़ देते। इससे भितरघात की स्थिति है। माहौल यहां और भी गर्माएगा| 

राजनगर :  पूर्व सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी के बेटे नितिन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर उतरे हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी मौजूदा विधायक विक्रम सिंह नातीराजा हैं। सत्यव्रत ने पार्टी के खिलाफ खुलकर बोलना शुरू कर दिया है, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया| अब यहां कांग्रेस कार्यकर्ता भी दो धड़ों में बंटे नजर आ रहे हैं| 

उज्जैन दक्षिण : यहां पिछली बार जयसिंह दरबार हार गए थे। इस बार राजेंद्र वशिष्ठ को टिकट दिया है। जयसिंह दरबार निर्दलीय मैदान में उतरे हैं। इसके बाद से यहां कांग्रेस कार्यकर्ता व नेता दो धड़ों में बंट गए हैं। 

कालापीपल : यहां प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष कुणाल चौधरी प्रत्याशी हैं। स्थानीय नेता इनके विरोध में थे। यहां चतुर्भुज तोमर सहित तीन नेता तगड़े दावेदार थे। इसके चलते अब यहां भितरघात की स्थिति है। 

करैरा-कोतमा-पांढुर्ना : कांग्रेस ने मौजूदा विधायक शंकुतला खटीक का टिकट काटकर जसवंत जाटव को दिया है। यहां भी भितरघात की स्थिति है। इसके अलावा मनोज अग्रवाल का कोतमा और पांढुर्ना से जतन उइके का टिकट कटा है। ये सभी घोषित प्रत्याशी से नाराज हैं।

भोपाल-दक्षिण-पश्चिम : यहां कांग्रेस नेता संजीव सक्सेना और उनके भाई प्रवीण सक्सेना दावेदार थे। टिकट नहीं मिला तो संजीव ने निर्दलीय नामांकन जमा किया था। बाद में दिग्विजय सिंह की समझाइश पर वापस ले लिया, लेकिन उनका समर्थन घोषित प्रत्याशी पीसी शर्मा को नहीं मिल पाया है। संजीव की टीम से भितरघात का खतरा है।

– इन सीटों पर भाजपा को ख़तरा 

पन्ना: शिवराज कैबिनेट में मंत्री का टिकट कटने के बाद से ही यहां विरोध तेज हो चूका है| टिकट कटने के बाद से कुसुम महदेले भारी नाराज हैं। वे ट्विटर पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर तक को घेर चुकी हैं, भाजपा ने महदेले का टिकट काटकर पवई सीट पर पिछली बार हार चुके बृजेंद्र सिंह को मौका दिया है। इस कारण महदेले की नाराजगी ज्यादा है। वहीं महदेले लगातार पार्टी पर निशाना साध रही हैं| 

हटा : यहां भाजपा ने उमा देवी खटीक का टिकट काटा है। इस पर वे कई सवाल खड़े कर चुकी हैं। सीएम सहित बड़े नेताओं को अपनी नाराजगी जाहिर कर चुकी हैं, इसलिए यहां भी भितरघात की स्थिति है। पार्टी ने पीएल तंतुवाय को टिकट दिया है।

सिंहावल : यहां भाजपा में भितरघात का खतरा बढ़ रहा है। यहा पूर्व विधायक विश्वामित्र पाठक टिकट चाहते थे, लेकिन नहीं मिल सका। 2008 में भी टिकट नहीं मिलने पर पाठक निर्दलीय लड़े थे। इस बाद निर्दलीय नहीं उतरे हैं, लेकिन उनके बेटे अजय सिंगरौली जिला पंचायत के अध्यक्ष हैं। सिंहावल सीट इसी क्षेत्र में आती है, इसलिए यहां भितरघात की स्थिति है।

विजयराघोगढ़ : यहां भाजपा-कांग्रेस दोनों में भितरघात का खतरा है, क्योंकि यहां दोनों पार्टी के प्रत्याशी 2013 की तुलना में अब आपस में बदल गए हैं। भाजपा प्रत्याशी संजय पाठक 2013 में कांग्रेस में थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी पद्मा शुक्ला 2013 में भाजपा में थी। दोनों की एक टीम विरोधी दल में भी समर्थक के रूप में है।

रीवा : यहां भाजपा नेता अभय मिश्रा कांग्रेस में आकर प्रत्याशी बने हैं। उनकी पत्नी नीलम भाजपा विधायक रही हैं, इसलिए भाजपा प्रत्याशी व मंत्री राजेंद्र शुक्ल को भितरघात का खतरा है। यहां भाजपा की एक टीम अभी भी अभय के साथ है।


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