कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर, ऑफिस की टाइमिंग में बदलाव, पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर करने की सलाह, आदेश जारी

केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि कार्यालयों में सुबह नौ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक या सुबह 10 बजे से शाम साढ़े छह बजे तक काम किया जाएगा।

Pooja Khodani
Published on -
employes news

Central Employees Office Timings Changed : दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते केंद्र सरकार ने गुरुवार को अपने कर्मचारियों के वर्किंग टाइमिंग में बदलाव किया है। केन्द्र सरकार ने दिल्ली में केंद्रीय कर्मचारियों के ऑफिस आने और जाने का समय बदल दिया, साथ ही उन्हें पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर करने की सलाह दी।

केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय (DoPT) के आदेश के अनुसार, केंद्रीय कर्मचारियों के लिए कार्यालय सुबह 9 बजे से शाम 5.30 बजे तक और सुबह 10 बजे से शाम 6.30 बजे तक खुले रहेंगे। जो कर्मी सुबह 9 बजे ऑफिस आएंगे, वो शाम 5.30 बजे घर जाएंगे और जो सुबह 10 बजे आएंगे, वो शाम 6.30 बजे तक दफ्तर में रहेंगे। दिल्ली एनसीआर में काम करने वाले केंद्रीय कर्मचारियों पर ही यह आदेश लागू होगा।

पब्लिक वाहनों से ऑफिस आने-जाने की सलाह

इसके साथ ही केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को पब्लिक वाहनों से ऑफिस आने-जाने की सलाह दी है। कर्मचारियों को गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को कम करने में सहयोग करना चाहिए। इसके लिए वो वाहनों में साथ ऑफिस आना-जाना (वाहन पूलिंग) करें या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करें। इन उपायों को मंत्रालयों, विभागों और संगठनों की ओर से उनकी कार्यात्मक आवश्यकताओं के आधार पर अपनाया जा सकता है। जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि दक्षता और उत्पादकता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

दिल्ली सरकार ने राजधानी में लागू किया वर्क फॉर्म होम

सोमवार को दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को देखते हुए सरकारी दफ्तरों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों को वर्क फॉर्म होम देने का फैसला लिया है। सीएम आतिशी ने ऐलान किया कि सरकारी कार्यालयों में 50 प्रतिशत कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम करेंगे और 50 प्रतिशत कर्मी ऑफिस आएंगे।इस संबंध में आदेश पहले ही जारी हो चुके है। कर्मचारियों के लिए यह प्रक्रिया रोटेशन में अपनाई जाएगी। इधर, दिल्ली के सभी स्कूल और कॉलेज भी बंद हैं, ऑनलाइन क्लासेस चलाई जा रही है।


About Author
Pooja Khodani

Pooja Khodani

खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

Other Latest News