क्या आपका बच्चा जल्दी गुस्सा करता है? जानें इसे संभालने के 4 बेहतरीन टिप्स

Parenting Tips: क्या आपका बच्चा छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करता है या अपनी भावनाओं को संभालने में दिक्कत महसूस करता है? बच्चों का गुस्सा स्वाभाविक है, लेकिन जब यह बार-बार और अनियंत्रित रूप से सामने आता है, तो यह चिंता का विषय बन सकता है।

भावना चौबे
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Parenting Tips: बच्चों में गुस्सा आना एक स्वाभाविक भावना है, जो उनके मानसिक और भावनात्मक विकास का हिस्सा होती है। हालांकि, जब यह गुस्सा बार-बार और असंतुलित तरीके से सामने आता है, तो यह चिंता का कारण बन सकता है। ऐसे में माता-पिता के लिए यह समझना जरूरी है कि गुस्से के पीछे छिपे कारण क्या है और इसे सही तरीके से कैसे संभाला जाए। बच्चों की भावनाओं को समझ कर और उन्हें सही दिशा दिखाकर न केवल उनकी समस्या को सुलझाया जा सकता है बल्कि उनके व्यवहार में सकारात्मक बदलाव भी लाया जा सकता है

गुस्से का कारण जानें

कई बार जब बच्चा गुस्सा करता है तो माता-पिता भी उसे पर गुस्सा करने लगते हैं लेकिन सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि आपके बच्चे को गुस्सा क्यों आ रहा है। क्या वह थका हुआ है, भूखा है यह किसी और समस्या से जूझ रहा है? अक्सर कई बार ऐसा होता है कि जब बच्चे परेशान होते हैं, और उन्हें लगता है कि वह अपनी बात किसी को नहीं बोल पा रहे हैं, तो वह गुस्सा करने लगते हैं।

बच्चों को भावना व्यक्त करना सिखाएं

बच्चों को यह सिखाना कि वह अपने गुस्से और अन्य भावनाओं को किस तरह से दूसरों के सामने व्यक्त करें यह उनके व्यक्तित्व विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। उन्हें यह समझना चाहिए कि गुस्सा आना स्वाभाविक है, लेकिन इसे शांति और समझदारी से व्यक्त करना ही सही तरीका है।

आप खुद भी गुस्सा कम करें

बच्चों के गुस्से के समय माता-पिता का शांत और संयमित रहना बेहद जरूरी है, क्योंकि आपकी प्रतिक्रिया सीधे तौर पर बच्चों के व्यवहार को प्रभावित करती है। अगर आप भी गुस्से में आकर प्रतिक्रिया देंगे तो इससे स्थिति और अधिक बिगड़ सकती है। बच्चे अक्सर अपने माता-पिता के व्यवहार से सीखते हैं इसलिए आपका शांत रहना उनके लिए एक सकारात्मक उदाहरण बन सकता है। जब आप धैर्यपूर्वक उनकी भावनाओं को समझते हैं और सुनते हैं तो बच्चे भी धीरे-धीरे इस तरीके को बनाने की कोशिश करते हैं और अपने आप उनका गुस्सा कम हो जाता है।

व्यवस्थित दिनचर्या अपनाएं

बच्चों का गुस्सा अक्सर उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा होता है। यदि उन्हें सही समय पर भोजन नींद और आराम नहीं मिलता है तो यह उनके मूड और व्यवहार पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए बच्चों के लिए एक नियमित दिनचर्या बनाना बहुत जरूरी होता है। जिससे कि समय पर भोजन कर सकें, समय पर खेल सकें, साथ ही साथ समय पर पर्याप्त नींद भी ले सकें।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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