भोपाल। लोकसभा चुनाव के पांच चरण के बाद कुछ हद तक तस्वीर साफ होती दिख रही है। बीजेपी के खिलाफ लामबंद हुए अन्य दलों ने बीजेपी को बैकफुट पर करने की पुरजोर कोशिश की है। इसका नतीजा तो 23 मई को ही पता चलेगी कि वह कितने कामयाब होते हैं। लेकिन बीजेपी के लिए महागठबंधन के अलावा मुश्किल की बात है उसका अंतरिक सर्वे। जिसमें पार्टी को 2014 की तरह बहुमत मिलती नहीं दिख रहा है। लिहाज़ा बीजेपी ने एनडीए के अलाव अन्य दलों से संपर्क करना शुरू कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि, बीजेपी के लिए आतंरिक सर्वेक्षण कर रही एक एजेंसी के प्रमुख ने सर्वे परिणामों पर बताया, “बात यह है कि कांग्रेस सपा-बसपा गठबंधन के साथ पूरी तरह से खड़ी नज़र आ रही है। प्रियंका गांधी के अभियानों में धार न होना इसका साफ़ सबूत है। वे अपने भाषणों में ज्यादातर मोदी या बीजेपी पर निशाना साधती हैं और महागठबंधन उम्मीदवारों के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोलती. बीजेपी यूपी में कम से कम 28 सीटों के नुकसान को लेकर चल रही है।” उन्होंने कहा कि यूपी में नुकसान के साथ-साथ महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी को घाटा होने का साफ अनुमान है।
गौरतलब है कि बीजेपी ने तीसरे चरण के मतदान के बाद नए सहयोगियों की तलाश शुरू कर दी। तब पार्टी का अनुमान था कि उसकी सीटें 200 से नीचे रह सकती हैं। लेकिन चौथे चरण में प्रचार रणनीति में बदलाव के बाद स्थिति में सुधार हुआ है। हालांकि, आंतरिक सर्वे कि रिपोर्ट के अनुसार पार्टी नेताओं की नींदे उड़ी हुई हैं। एमपी में भी कई सीटों पर बीजेपी को अपने से ही चुनौति मिल रही है। फिलहाल दो दौर और बाकी रह गए हैं। जिनमें 16 सीटों पर मतदान बोना हैं। इनमें से सिर्फ गुना सीट पर अभी कांग्रेस का कब्जा है। बाकी 15 पर बीजेपी का कब्जा है, लेकिन इस बार काफी सीटों का मुकसान बीजेपी को उठाना पड़ सकता है। इसका बड़ा कारण है टिकट वितरण में गडबड़ी और रूठे नेताओं की नाराजगी।