भोपाल। विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा के दिग्गज नेता लोकसभा चुनाव में सुरक्षित सीटों से चुनाव लडऩे की तैयारी में है। इसके लिए वे पार्टी हाईकमान के सामने अपनी बात भी रख चुके हैं। पार्टी के करीब आधा दर्जन मौजूदा सांसदों ने सीट बदलने की इच्छा जताई है, इसके लिए तर्क दिए गए हैं कि वे नई सीट से टिकट मिलने पर वे प्रदेश की दूसरी सीटों पर ज्यादा समय दे सकते हैं। हालांकि अभी पार्टी हाईकमान की ओर से किसी भी मौजूदा सांसद को मनचाही सीट से चुनाव लडऩे की हरी झंडी नहीं मिली है। भाजपा में सबसे ज्यादा दिग्गजों की निगाहें भोपाल लोकसभा सीट पर हैं।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह की निगाहें भी भोपाल सीट पर हैं, हालांकि राकेश के भोपाल से चुनाव लडऩे के पक्ष में स्थानीय नेता नहीं है। विधानसभा चुनाव में हार के बाद राकेश सिंह ने प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की हाईकमान के सामने पेशकश की थी, लेकिन हाईकमान ने इसे ठुकरा दिया था। अब चूंकि प्रदेशाध्यक्ष के नाते राकेश को खुद के संसदीय क्षेत्र के अलावा प्रदेश की अन्य सीटों पर भी ज्यादा समय देना है, ऐसे में उन्हें सुरक्षित सीट की तलाश है। ग्वालियर सांसद एवं केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का नाम भी भोपाल से चुनाव लडऩे की इच्छा जाहिर करने वालों में शामिल है। हालांकि तोमर इससे खुद इंकार कर चुके हैं। पिछले हफ्ते उन्होंने भोपाल प्रवास के दौरान भोपाल से चुनाव लडऩे की अटकलों का खंडन करते हुए कहा कि उनका भोपाल से लडऩे का कोई इरादा नहीं है। उन्हें कहां से लडऩा है यह पार्टी तय करेगी। भाजपा सूत्र बताते हैं कि तोमर इस बार फिर से मुरैना से चुनाव लड़ सकते हैं।
नया चेहरा उतार सकता है हाईकमान
भोपाल लोकसभा सीट लंबे समय से भाजपा के कब्जे में है। इसे भाजपा की सबसे सुरक्षित सीटों में गिना जाता है। ऐसे में पार्टी हाईकमान किसी भी नए चेहरे को भोपाल से प्रत्याशी उतार सकती है। पिछले चुनाव में भी स्थानीय नेतााओं की खींचतान के बीच प्रदेश कार्यालय मंत्री रहे आलोक संजर को भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ाने का फैसला किया गया। वहीं भाजपा की दिल्ली सूत्रों ने बताया कि भाजपा के प्रदेश महासचिव विष्णुदत्त शर्मा को भी भोपाल लोकसभा से चुनाव लड़ाया जा सकता है। शर्मा का नाम विधानसभा चुनाव के दौरान हुजूर और गोविंदपुरा विधानसभा सीट से प्रवल दावेदारों में शामिल था। गोविंदपुरा से उनका टिकट लगभग तय हो चुका है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर उनकी बहू कृष्णा गौर के बगावती तेवर की वजह से पार्टी ने आखिरी समय में कृष्णा को गोविंदपुरा से प्रत्याशी घोषित किया था।