भोपाल। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी में वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करने की कोशिश जारी है। 75 पार के फॉर्मूले के तहत बीजेपी सरकार में मंत्री रहे बाबूलाल गौर और सरताज सिंह को पद से हटाया गया था। कभी इन नेताओं ने ही युवाओं को राजनीति में आगे लाने के लिए प्रयास किए थे। और अब ये खुद हाशिए पर हैं। सरजात सिंह ने तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का दामन थामा लिया। हाल ही में राहुल गांधी के कार्यक्रम में पूर्व मंत्री और कई बार सांसद रहे रामकृष्ण कुसमरिया ने भी कांग्रेस में शामिल हो गए। वह बुंदेलखंड से कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार हो सकते हैं।
अब बाबूलाल गौर और पूर्व मंत्री कुसुम मेहदेले भी बीजेपी में उपेक्षा का शिकार हो गई हैं। दोनों ही नेताओं का झुकाव कांग्रेस की ओर हो रहा है। गौर और मेहदेले लोकसभा चुनाव में ताल ठोकते नजर आ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक मेहदेले लोकसभा चुनाव के लिए टिकट की मांग कर रही हैं। अगर पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया तो वह कांग्रेस में शामिल होने पर विचार कर सकती हैं। हाल ही में उन्होंने इसके संकेत भी दिए हैं। मेहदेले ने मोदी सरकार से मांग की है कि उन्हें राज्यपाल या फिर राज्य सभा सदस्य बनाया जाए। वहीं, बाबूलाल गौर भी लगातार बीजेपी को निशाने पर लिए हैं। पार्टी संगठन के और पार्टी लाइन के खिलाफ वह लगातार बयान बाजी करते रहे हैं। यही नहीं उन्होंने हाल ही में यह तक कह दिया था कि पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह उनकों लोकसभा टिकट देना चाहते हैं।
सूत्रों के मुताबिक हाशिए पर गए ये नेता अब सत्ता में आने के लिए बेचैन हैं। विधानसभा चुनाव में तीन राज्य में सत्ता पर काबिज होने के बाद से इन नेताओं का रूझान कांग्रेस की ओर हो रहा है। लंबे समय तक सत्ता में रहने के बाद अब इनसे पॉवर का मोह नहीं जा रहा है। गौर ने कुसमरिया के फैसले को सही बताया है। सूत्रों के मुताबिक गौर लगातार बीजेपी पर टिकट के लिए दबाव बना रहे हैं।