भोपाल। प्रदेश में बड़ी संख्या में हो रहे तबादलों पर अब सवाल उठने लगे हैं। खुद नौकरशाहों के बीच यह चर्चा है कि आखिर तबादलों का आधार क्या है। क्योंकि परफार्मेंस और काम के आधार पर तबादले नहीं हो रहे हैं। पिछले एक महीने के बाद कुछ अधिकारियों के दो से तीन तबादले किए गए हैं। जिसकी वजह से नौकरशाही में हड़कंप मचा हुआ है और अफसरों का काम में मन नहीं लग रहा है।
कमलनाथ सरकार ने दो महीने के भीतर बड़ी संख्या में तबादला आदेश जारी किए हैं। करीब 40 से ज्यादा जिलों के कलेक्टर एवं एसपी बदले जा चुके हैं। आधा दर्जन करीब संभागायुक्तों को बदला जा चुका है। इसके बाद भी पुलिस एवं प्रशासनिक महकमे में निचले अमले को भी बदला गया है। खास बात यह है कि राज्य सरकार ने कुछ अधिकारियों के दो से तीन-चार तबादले एक महीने के भीतर ही कर डाले हैं। जिसकी वजह से अफसरों के बीच हड़कंप जैसी स्थिति बन गई है। उन्हें इस बात का डर हैकि कब उनका आदेश आए जाए।
काम में नहीं लग रहा मन
शिवराज सरकार के समय से पदस्थ ऐसे अधिकारी जिनका अभी तक तबादला नहीं हुआ है। उनका काम में मन नहीं लग रहा है। वे किसी तरह की परफार्मेंस नहीं दिखा पा रहे हैं। उन्हें इस बात का डर है कि कभी भी उनका तबादला आदेश आ सकता है।
मंत्रालय में सन्नाटा
मंत्रालय एवं अन्य शासकीय विभागों में सन्नाटे जैसी स्थिति है। सिर्फ वही अधिकारी काम में लगे हैं, जो सरकार के महत्वपूर्ण एवं प्राथमिकता वाले कामों को देख रहे हैं। बाकी अधिकारियों के पास कोई काम नहीं है। यही स्थिति सतपुड़ा, विंध्याचल स्थ���ति विभागोंध्यक्ष कार्यालयों की है।
सिर्फ वचन पत्र पर काम कर रहे विभाग
कांग्रेस सरकार बनते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी अधिकारियों को पास पार्टी का वचन पत्र भिजवा दिया था। साथ ही निर्देश दिए कि वचन पत्र पर काम करना शुरू कर दें। अधिकारी सिर्फ वचन पत्र पर ही काम कर रहे हैं। उसके अलावा अधिकारियों के पास कोई प्लानिंग नहीं है। खास बात यह है कि ज्यादातर विभाग वचन पत्र पर काम पूरा कर चुके हैं, जिसकी समीक्षा के लिए मंत्रियों के पास समय नहीं है।