भोपाल। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव जिताने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश-जिला पदाधिकारी, विधायक और नेताओं को दो टूक कहा है कि अगर पार्टी को जीत नहीं मिली तो नेता इसके जिम्मेदार होंगे और उनसे पद भी वापस लिया जा सकता है। मुख्यमंत्री के इस सख्त तेवर के बाद पार्टी नेताओं में खलबली मच गई है। वहीं, कुछ विधायकों का कहना है कि उनके मन मुताबिक अगर तबादले नहीं किए गए तो लोकसभा चुनाव में वह स्वयं ही पार्टी की जीत का जिम्मा नहीं लेंगे।
दरअसल, विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद नाथ लोकसभा चुनाव में भी बड़ी जीत की उम्मीद लगाए हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव के मिशन को लेकर जिले के पदाधिकारियों समेत विधायक और मंत्रियों तक को साफ कह दिया है कि पद तभी बचेगा जब पार्टी के हिस्स में जीत आएगी। यही नहीं उन्होंने यह तक कह दिया कि अपने पोलिंग बूथ हारे तो उनके नाम की लिस्ट सीएम हाउस के बाहर लगादी जाएगी ताकि उनकी एंट्री हाउस में बंद हो सके। उन्होंने पार्टी के अंदर चल रही अंतरकलाह को लेकर भी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि वह गुटबाजी से पूरी तरह से वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि इस बार भोपाल से लेकर दिल्ली तक खेमों में बंटी पार्टी की गुटबाजी बर्दाश्त नहीं होगी।
विधायकों ने कहा तबादले में तले उनकी मर्जी
मुख्यमंत्री से कुछ विधायकों ने कहा कि तबादले में अगर उनकी राय शामिल नहीं की जाती है तो वह कैसे अधिकारियों से अपनी तालमेल बनाएंगे। इससे नतीजों पर असर पड़ेगा और वह हार के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। विधायक दल की बैठक में भी यह मुद्दा उठ चुका है।
वापस लिया जाएगा पद
सीएम नाथ ने ये संकेत दे दिए हैं कि अगर अपने पोलिंग बूथ या फिर जो विधायक मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंपा गया है वह जीत दिलाने में कामयाब नहीं होते हैं तो उनसे पद वापस ले लिया जाएगा। इनमें कई मंत्री भी ऐसे हैं जिनका पद लोकसभा चुनाव के बाद जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक नाराज विधायकों को पार्टी ने पहले भी यही संकेत दिया था कि लोकसभा चुनाव तक रुकें उसके बाद एक बार फिर कैबिनेट का विस्तार किया जाएगा। जाहिर सी बात है खराब प्रदर्शन वाले मंत्रियों पर गाज गिरना तय है।