जोधपुर, डेस्क रिपोर्ट। सलमान खान (Salman khan) ने जिस काले हिरण या फिर चिंकारा (Blackbuck Poaching Case) का शिकार किया, उसकी की याद में जोधपुर भव्य स्मारक बनने जा रहा है। कांकाणी गांव में चिंकारा का स्टैच्यू बनकर तैयार है और जल्द ही इसे गांव में स्थापित कर दिया जाएगा। बिश्नोई समाज ने इस मामले में एक लंबी लड़ाई लड़ी थी और वो काला हिरण लोगों की स्मृति में रहे, इसके लिए ये स्टैच्यू तैयार किया गया है।
बता दें कि अक्टूबर 1998 में फिल्म ‘हम साथ साथ हैं’ (Hum Sath Sath Hain)की शूटिंग के दौरान सलमान खान, सैफ अली खान, तब्बू, सोनाली बेंद्रे, नीलम व अन्य कुछ लोगों पर घोड़ा फार्म हाउस, भवाद और कांकाणी गांव में काले हिरण (chinkara) के शिकार का आरोप लगा। तब्बू, सोनाली बेंद्रे, नीलम और सैफ अली खान पर सलमान खान को उकसाने का आरोप था। इस मामले में सलमान मुख्य आरोपी थे और उन्हें 20 साल जोधपुर कोर्ट के चक्कर भी काटने पड़े। 5 अप्रैल, 2018 को जोधपुर की सीजेएम कोर्ट ने काला हिरण शिकार केस में सलमान खान को 5 साल की जेल की सज़ा सुनाई थी और दो दिन उन्हें जेल मे भी बिताने पड़े थे।सलमान को छोड़कर बाकी आरोपी बरी हो गए थे।
अब उसी चिंकारा की स्मृति में उसका स्टैच्यू तैयार किया गया है। इसका मकसद है कि लोग वन्यजीवों और पर्यावरण के महत्व को समझें और उनमें जागरूकता आए। लोहे और सीमेंट से बना ये स्टैच्यू कफी भारी भरकम है। इसका वजन करीब 800 किलो है। इसे जोधपुर के सिवांची गेट निवासी मूर्तिकार शंकर ने महज 15 दिन में तैयार किया है। मूर्तिकार ने बताया कि स्टैच्यू को हूबहू बनाने के लिए उन्होने मैंने चिंकारा की हर एंगल से फोटो देखी। फोटो देखकर आंगन पर चॉक से स्कैच बनाया। फिर लोहे के सरियों को जोड़ कर हिरण का पिंजर तैयार किया। पिंजर को प्लास्टिक कट्टे से बांधा। फिर उसके चारों ओर ढांचे में सीमेंट भर दी। सीमेंट सूखने पर पानी की तराई की और हिरण का शेप देकर सीमेंट को पकाया। फिर फीनिशिंग का काम हुआ। एक बार सीमेंट से हिरण की हूबहू आकृति बनने के बाद उस पर कलर किया गया। मूर्ति पर सींग सीमेंट या लोहे के नहीं बल्कि असली हिरण के लगाए गए हैं। जंगल में किसी मृत हिरण के अवशेष से सींग लेकर स्टैच्यू को लगाए गए हैं।
बता दें कि कांकाणी गांव में शिकार के बाद हिरण को जहां दफनाया गया था वहीं 7 बीघा इलाके में उसकी स्मृति में विशाल स्मारक बनावाया जा रहा है। किसी संत-महात्मा के जैसी ही चिंकारा की समाधि भी बनाई जाएगी। वन्यजीवों खासकर हिरणों के लिए एक रेस्क्यू सेंटर भी बनाया जाएगा। यहां बीमार हिरणों का इलाज और उनकी देखभाल की जाएगी। हिरण शिकार मामले में बिश्नोई समाज ने लंबी लड़ाई लड़ी है। ये जल जंगल और जानवरों के लिए अपनी जान भी देने को तैयार रहते हैं। समाज ने ही इस स्मारक के लिए जमीन भी दी है। इस स्मारक को बनाने के लिए समाज के 200 लोग एक साथ जुटे। कांकाणी युवा नाम से एक ग्रुप बनाया गया और अब ये स्मारक विश्नोई समाज की परंपराओं की याद दिलाता रहेगा।