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Fri, Dec 19, 2025

सीएम शिवराज ने किया बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण, महापरिनिर्वाण दिवस पर दी श्रद्धांजलि

Written by:Shruty Kushwaha
Published:
सीएम शिवराज ने किया बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण, महापरिनिर्वाण दिवस पर दी श्रद्धांजलि

Mahaparinirvan Diwas 2022 :भारत के संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की आज पुण्यतिथि है। उनके 67वें परिनिर्वाण दिवस पर महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्मु, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘महापरिनिर्वाण दिवस पर मैं डॉ बाबासाहेब अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और हमारे राष्ट्र के लिए उनकी अनुकरणीय सेवा को याद करता हूं। उनके संघर्षों ने लाखों लोगों को उम्मीद दी और भारत को इतना व्यापक संविधान देने के उनके प्रयासों को कभी भुलाया नहीं जा सकता।’ वहीं यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित विपक्ष के नेताओं ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। सीएम ने कहा कि ‘जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चाहिये- बाबा साहब। विपुल प्रतिभा के धनी, भारतीय संविधान के निर्माता, भारत रत्न, श्रद्धेय बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी के महापरिनिर्वाण दिवस पर उनके चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं। बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी ने सामाजिक न्याय, समरसता और समानता के लिए जो मार्ग दिखाया, उस पर आगे बढ़ते हुए हम सभी देश और समाज के नवनिर्माण में भागीदारी निभायें। मध्यप्रदेश भी उनके दिखाये मार्ग पर अग्रसर है। उन्होंने देश को संविधान दिया। बाबा साहब जैसे विद्वान विरले होते हैं। वह सोशल रिफॉर्मर भी थे। उन्होंने समाज के दलित, शोषित, वंचित व पीड़ित वर्ग के उत्थान के लिए जो प्रावधान किए, वह उनकी जिंदगी बदल रहे हैं।’

संविधान निर्माता बाबासाहब अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ। वे न्यायविद, अर्थशास्त्री, समाजसुधारक और राजनेता थे। उन्होने समाज में दलितों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार का विरोध किया और सामाजिक पक्षपात के विरूद्ध अभियान चलाया। उन्होने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और श्रमिको, किसानों, महिलाओं के अधिकारों के लिए भी संघर्ष किया। आजादी मिलने के बाद वे देश के पहले कानून एवं न्याय मंत्री बने। 29 अगस्त 1947 को उन्हें स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना के लिए बनी संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया। इस तरह वे संविधान निर्माता बनें। 6 दिसंबर 1956 को उनका निधन हुआ। 1990 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है और आज देशभर में उनकी स्मृति में कई आयोजन हो रहे हैं।