दिग्गी के बयान पर सीएम शिवराज का पलटवार, कहा- मनचाहा बोलते हैं और अनचाहा सुनते हैं

शिवराज सिंह चौहान

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। बीते दिनों मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में हुए पत्थरबाजी की घटनाओं को लेकर अब सियासत शुरू हो गई है। जिसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Rajya Sabha MP Digvijay Singh) ने प्रदेश सरकार (State government) की कार्रवाई पर सवाल उठाए है। अयोध्या (Ayodhya) में बनने वाले राम मंदिर (Ram temple) के धनसंग्रह के लिए निकाली गई रैली के दौरान मध्य प्रदेश के उज्जैन और इंदौर शहर में रैली में मौजूद लोगों पर पत्थरबाजी करने की घटना सामने आई थी। जिसे लेकर अब सियासत गरमा गई है।

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh’s statement) ने उज्जैन, इंदौर और मंदसौर में हुई पत्थरबाजी (Stone pelting) की घटनाओं की निष्पक्ष जांच डीजी और सीएस रैंक के किसी रिटायर अफसर (Retired officer) से कराने की मांग की थी। जिसे लेकर उन्होंने डीजीपी विवेक जौहरी (DGP Vivek Johri) को एक ज्ञापन भी सौंपा था। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश में जब ‘मैं मुख्यमंत्री था तब धार्मिक उन्माद फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की गई थी।’

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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।