भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव (MP Panchayat Election 2021-22) को लेकर सियासी हलचल का दौर जारी है।एक तरफ सभी को मप्र चुनाव आयोग के फैसले का इंतजार है, वही दूसरी तरफ सीएम शिवराज सिंह चौहान का बड़ा बयान सामने आया है । सीएम शिवराज ने कहा कि बीजेपी (BJP) की नीति रही है- ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’। मध्यप्रदेश में सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण का लाभ देने के साथ अनुसूचित जाति जनजाति को न्याय दिया।ओबीसी का भी पंचायत चुनाव में आरक्षण का जो अधिकार है, वह भी रहना चाहिये। सबको न्याय देने का हरसंभव प्रयास है।
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आज मीडिया से चर्चा करते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की नीति रही है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास। सामाजिक न्याय, समाजिक समरता के साथ सब समाज को लेकर आगे बढ़ते जाना है ।सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण मध्य प्रदेश में लागू किया गया है। अनुसूचित जाति जनजाति को भी न्याया दिया।OBC आरक्षण को भी पंचायत चुनाव में अधिकार है, इसलिए हम कोशिश कर रहे है कि सबको न्याय मिले।इधर, शिवराज सरकार ने ओबीसी वोटरों की गिनती के लिए सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि 7 जनवरी तक यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाए और पंचायतवार व वार्डवार जानकारी मप्र शासन को भेजी जाए।
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वही मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव होंगे या नहीं, इसको लेकर मप्र राज्य चुनाव आयोग (MP State Election Commission) ने अपना फैसला नहीं सुनाया है।हालांकि सोमवार को राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने बयान जारी कर कहा था कि राज्य शासन द्वारा मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश-2021 वापस लेने संबंधी जानकारी आयोग को प्राप्त हो गई है। इस विषय पर विचार के लिये आयोग में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की गई है। राज्य निर्वाचन आयोग इस विषय पर लीगल ओपीनियन ले रहा है। लीगल ओपीनियन के आधार पर ही आयोग पंचायत निर्वाचन के संबंध में जारी प्रक्रिया के बारे में निर्णय लेगा।
3 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण पर रोक लगाए जाने के मामले में लगाई गई याचिका पर 3 जनवरी 2022 को सुनवाई होगी।इसमें केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण की याचिका में खुद को पक्षकार बनाने की मांग की है। केंद्र सरकार ने रविवार को पंचायत चुनाव के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के 17 दिसंबर के आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि जमीनी स्तर के शासन में निर्वाचित निकायों में समुदाय का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किए बिना चुनाव कराना संविधान के जनादेश के विपरीत है।केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी सुझाव दिया है कि वैकल्पिक रूप से 4 महीने के लिए चुनाव टाल सकता है और 3 महीने के भीतर आयोग से रिपोर्ट मांग सकता है।
.@BJP4India की नीति रही है- 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास'।
मध्यप्रदेश में सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण का लाभ देने के साथ अनुसूचित जाति जनजाति को न्याय दिया।#OBC का भी पंचायत चुनाव में आरक्षण का जो अधिकार है, वह भी रहना चाहिये। सबको न्याय देने का हरसंभव प्रयास है। pic.twitter.com/NRkMi2KwQt
— Shivraj Singh Chouhan (मोदी का परिवार ) (@ChouhanShivraj) December 28, 2021