भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने किसानों का कर्ज माफी का वादा पूरा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। रोज लाखों किसानों के खातों में सरकार द्वारा राशि भेजी जा रही है। जिससे उनका कर्ज माफ किया जा सके। लेकिन इस संकट को दूर करने के कारण प्रदेश की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है। सरकार के इस कदम से प्रदेश की सहकारी समितियां खाली हैं। अगर अपेक्स बैंक ने समितियोंं को 2400 करोड़ रुपए एक मीहने में नहीं लौटाया तो अपेक्स बैंक डिफाल्टर होने की कगार पर आ जाएगा। अगर ऐसा होता है तो समितियों का फंड रुक जाएगा जिससे अगले साल किसानों को कर्ज नहीं मिल पाएगा।
सरकार ने प्रदेश में फिजूलखर्ची पर रोक लगाने मंत्री और अफसरों के खर्चों में कटौती भी की है। किसानों की आर्थिक स्थिति सही करने के लिए सरकार ने कदम तो उठाए हैं लेकिन सहकारी समितियों की हालत नाजुक बनी हुई है। अगर अपैक्स बैंक द्वारा पैसा लौटाया नहीं जाता है तो यह समितियां बंद होने की कगार पर आजएंगी। किसान कर्ज माफी से प्रदेश की 4500 समितियों को नुकसान हो रहा है। जिससे उनके खजाने पर प्रभाव पड़ रहा है। अगर हालात नहीं सुधरे तो साढ़े तीन हजार से ज्यादा समितियों पर आर्थिक संकट छा जाएगा और वह डिफाल्टर हो जाएंगी। जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ेगा। आगामी वित्तीय वर्ष में ये समितियां किसानों को कर्ज देने लायक नहीं रहेंगी। गौरतलब है कि सरकार ने किसान ऋण माफी योजना में सरकर ने उन्हें पचास फीसदी राशि खुद सरकार की तरफ से बहन करने के लिए कहा है।
ये समितिया डिफाल्टर की कगांर पर
समितियां जब तक सहकारी बैंकों को लोन नहीं चुकाएंगी तब तक बैंकों की स्थिति खराब रहेगी। करीब 30 सहकारी बैंकें डिफाल्टर होने की कगार पर आ जाएंगी। वर्तमान में आठ सहकारी बैंक डिफाल्टर हैं, जिनमें मुरैना, होशंगाबाद, रायसेन, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, सतना और रीवा सहकारी बैंक शामिल है। इन बैंकों में वसूली पिछले पांच साल से लगातार कम हो रही है, यह बैंक 20 फीसदी से अधिक वसूली नहीं कर पा रहे हैं। समाधान योजना में भी इसकी स्थिति बेहतर नहीं रही है।