भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में मतदाताओं (Voters) ने शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) की सरकार (Government) पर मुहर लगाते हुए 28 में से 19 सीटें भाजपा (BJP) की झोली में डाल दीं है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में जनता ने भाजपा के खिलाफ जनादेश दिया था, लेकिन करीब दो साल बाद 2020 में हुए 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव (By-election) में मतदाताओं ने एक बार फिर भाजपा सरकार के सात महीने के कामकाज पर भरोसा जताया है। उधर कांग्रेस की करारी हार के बाद आंतरिक तौर पर कई कांग्रेस नेताओं (Congress Leaders) ने उसके मौजूदा नेतृत्व पर सवाल खड़े किए, लेकिन कांग्रेस की पहली और दूसरी पंक्ति के नेता इस विषय में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। हालांकि माना जा रहा था, कि इस हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए खुद कमलनाथ (Kamal Nath) अपने पद से इस्तीफा (Resign) दे सकते हैं।
2023 तक करेंगे प्रदेश की राजनीति करेंगे
भले ही कमाल नाथ के इस्तीफे की अटकलें चल रही हो लेकिन कांग्रेस विधायक दल की बैठक में खुद नाथ ने इस तरह की अटकलों को खारिज कर दिया, और उन्होंने यह तय कर दिया कि 2023 यानी अगले विधानसभा चुनाव तक वह मध्यप्रदेश में रहकर ही राजनीति करेंगे और जब वह प्रदेश कांग्रेस की राजनीति करेंगे। कमलनाथ ने कहा था कि जो लोग कहते हैं कि मैं हार के बाद मध्य प्रदेश छोड़ दूंगा, तो वे सुन लें.. हम 2023 का चुनाव पूरी ताकत से लड़ेंगे। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव नजदीक हैं, जिसमें पूरी तैयारी के साथ जनता के बीच जाएंगे। तो लाजमी है, कि वही कांग्रेस के सुप्रीमो भी बने रहेंगे, लेकिन कमलनाथ की इस मंशा को कांग्रेस हाईकमान की नजर लग सकती है।
संगठन में बदलाव करने के दिए दिशा निर्देश
28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को 19 सीटों पर मिली करारी हार के बाद कांग्रेस मंथन कर रही है। इसी के तहत शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से दिल्ली में मिले। यहां उन्होंने सोनिया गांधी को 19 सीटों की रिपोर्ट दी। सोनिया ने इस दौरान कमलनाथ को संगठन में बदलाव करने के दिशा-निर्देश भी दिए हैं। कमलनाथ को 19 सीटों के विधानसभा प्रभारी और जिला अध्यक्षों की रिपोर्ट सोनिया गांधी को जल्द सौंपनी होगी।
जिलाध्यक्ष और प्रभारी पर होगी कार्रवाई
रिपोर्ट में जानकारी देनी होगी कि आखिरकार 19 सीटों में हार के क्या कारण रहे हैं। दिवाली के बाद रिपोर्ट सौंपी जाएगी। अगर विधानसभा प्रभारी और जिलाध्यक्ष का फीडबैक संतोषजनक नहीं रहा, तो जिलाध्यक्ष और प्रभारी पर कार्रवाई होगी। कमलनाथ ने सख्त लहजे में सभी जिला अध्यक्ष और प्रभारियों को निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि चुनाव के दौरान अक्टूबर कमलनाथ द्वारा इमरती देवी पर की गई टिप्पणी से सोनिया गांधी नाराज बताई गई हैं।
कमल नाथ के प्रदर्शन से हाईकमान खुश नहीं
दरअसल दिल्ली कांग्रेस के आंतरिक सूत्रों की मानें, तो पार्टी हाईकमान कमलनाथ के प्रदर्शन को लेकर काफी खुश नहीं है। क्योंकि पूरे उपचुनाव में पार्टी ने कमलनाथ को फ्री हैंड दे रखा था, लेकिन उसके मुताबिक कमलनाथ नतीजे नहीं दे सके ऐसे में अब पार्टी को भी लगने लगा है, कि संभवत: आने वाले समय में भी कमलनाथ कांग्रेस के लिए मुफीद साबित नहीं हो सकते, लिहाजा उनका लंबे समय तक पीसीसी चीफ बना रहना ठीक नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस हाईकमान ने इस विषय में चेहरों की तलाश भी शुरू कर दी है।
किस बात से नाराज है हाईकमान ?
दरअसल मध्यप्रदेश की जिम्मेदारी संभालने के बाद से ही कमलनाथ पूरी कांग्रेस पर एकाधिकार करने में जुटे हैं। पहले पीसीसी चीफ, फिर मुख्यमंत्री और उसके बाद पीसीसी चीफ के साथ नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी। अगर उपचुनाव में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन कर लेती, तो शायद नाथ की यह शैली पार्टी नेतृत्व को नहीं अखरती लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस के लचर प्रदर्शन के बाद दिल्ली में नाथ विरोधी खेमे ने आलाकमान के साथ कानाफूसी शुरू कर दी, नतीजतन पार्टी हाईकमान भी नाराज नजर आ रहा है।