गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने पर कांग्रेस ने जताई आपत्ति, नरोत्तम मिश्रा का पलटवार

The Gandhi Peace Prize  will be conferred on Gita Press, Gorakhpur :  भारत सरकार ने गीता प्रेस गोरखपुर को साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा की है। इसे लेकर कांग्रेस ने  आपत्ति जताई है। वहीं कांग्रेस की आपत्ति पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पलटवार करते हुए उसपर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया है।

कांग्रेस ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देना गोडसे और सावरकर को सम्मानति करने जैसा है। कांग्रेस के इन आरोपों पर नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि ‘तुष्टिकरण की सियासत करने वाली कांग्रेस को सनातन धर्म पर आधारित साहित्य प्रकाशित करने वाले सबसे बड़े केंद्र गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार मिलने पर आपत्ति हो रही है। पूरा देश समझता है कि कांग्रेस को आपत्ति इसलिए है क्योंकि वो सिर्फ गीता और रामायण छापती है।’ उन्होने कहा कि ये कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति है।

बता दें कि गीता प्रेस गोरखपुर इस साल अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। 1923 में स्थापित गीता प्रेस विश्व के सबसे बड़े प्रकाशकों में शामिल है। यहां से अब तक 14 भाषाओं में लगभग 41.7 करोड़ किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं और इनमें से जिनमें 16.21 करोड़ श्रीमद्भगवत गीता हैं। भारत सरकार द्वारा 1995 में महात्मा गांधी की 125 वीं जयंती पर गांधी शांति पुरस्कार देने की शुरुआत की गई और हर साल ये पुरस्कार दिया दिया जाता है। इसमें एक करोड़ रूपये की नगद राशि भी सम्मिलित है लेकिन गीता प्रेस ने सम्मान स्वीकार करते हुए धनराशि लेने से इनकार किया है। इससे पहले गीता प्रेस ने आज तक कोई भी सम्मान स्वीकार नहीं किया है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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