भोपाल।
कांग्रेस पार्टी(congress party) के प्रख्यात वकील(lawyer) और नेता कपिल सिब्बल(kapil sibbal) और विवेक तन्खा(vivek tankha) ने सोमवार को मध्य प्रदेश(madhyapradesh) में वर्तमान स्थिति पर राष्ट्रपति(president) रामनाथ कोविंद(ramnath kovind) को पत्र लिखा जिसमें मुख्यमंत्री(chiefminister) शिवराज सिंह चौहान(shivraj singh chouhan) द्वारा अकेले ही सरकार सँभालने और उन द्वारा प्रस्तावित दो अध्यादेशों पर आपत्ति जताई। उसे असंवैधानिक करार दिया। सिब्बल और तन्खा ने सोमवार को राष्ट्रपति को एक संयुक्त पत्र में आरोप लगाया कि चौहान ने मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना दो वित्तीय अध्यादेशों को लागू कर दिया जो संविधान(constitution) में प्रावधानों के खिलाफ है।
अपने लिखे पत्र में उन्होंने तर्क दिया है कि हम आपके ध्यान में संविधान के अनुच्छेद 163 को लाना चाहते हैं जो मंत्रिपरिषद को अपने कार्यों के अभ्यास में राज्यपाल की सहायता और सलाह देने के लिए मजबूर करता है। राज्यपाल मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाले मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना कार्य नहीं कर सकता। इसके अतिरिक्त, अनुच्छेद 164 (ए) के प्रावधान में मुख्यमंत्री सहित 12 से कम नहीं होने के लिए मंत्रिपरिषद की न्यूनतम शक्ति का प्रावधान है। यहां परिषद गायब है केवल सिर मौजूद है। इसलिए राज्यपाल ने शिवराज सिंह चौहान की सलाह पर बिना अधिकार क्षेत्र के दो अध्यादेशों (मध्य प्रदेश वित्त अध्यादेश 2020 और मध्य प्रदेश विनियोजन (वोट-ऑन-अकाउंट) अध्यादेश 2020) को लागू किया।
कांग्रेस नेताओं द्वारा पत्र में स्पष्ट किया गया है कि ये अध्यादेश राज्य सरकार को 4,443 करोड़ रुपये के अतिरिक्त ऋण के साथ राज्य को बोझ देने के लिए अधिकृत करते हैं। यह वित्त वर्ष 2020-2021 के कर्मचारी के समेकित कोष से 1.66 लाख करोड़ रुपये की निकासी की अनुमति देता है। इससे न केवल राज्य के राजकोषीय स्वास्थ्य पर गंभीर वित्तीय प्रभाव पड़ेगा बल्कि यह संविधान को असंवैधानिक कृत्य रंग देता है। मध्य प्रदेश मे संवैधानिक लोकतंत्र को कम कर दिया गया है। पत्र में यह भी तर्क दिया गया था कि मुख्यमंत्री को 23 मार्च, 2020 को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। जिसके बाद से कैबिनेट का गठन करने के लिए कोई कानूनी बाधा उनके सामने नहीं थी। तब से 28 दिन बीत चुके हैं। केवल असाधारण परिस्थितियों में है कि राजकोषीय मामलों में अध्यादेश बनाने की शक्ति को अपनाना और वोट-ऑन-अकाउंट की अनुमति देना जायज़ है। यहाँ उस शक्ति के अभ्यास में पूर्ववर्ती स्थितियाँ मौजूद नहीं हैं। कांग्रेस नेताओं ने कहा मध्य प्रदेश विधानसभा जगह में है। किसी भी दिन मंत्रियों की परिषद का गठन किया जा सकता है। वहीँ राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल और विवेक तन्खा ने राष्ट्रपति से असंवैधानिक अध्यादेशों को वापस लेने की अपील की है।
सोमवार को कांग्रेस नेताओं ने पत्र में राष्ट्रपति को ये भी लिखा कि Covid19 का मुकाबला करने के बीच में हम अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को समाप्त नहीं कर सकते। अन्यथा भावी पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी। इंदौर आज कोरोनावायरस संक्रमणों की 80% मेजबानी करने वाले वायरस के प्रसार का केंद्र है। इससे पहले भोपाल में संक्रमित अधिकारियों के पदानुक्रम के साथ स्वास्थ्य विभाग का पतन देखा गया था। स्वास्थ्य मंत्री की अनुपस्थिति में संक्रमित कर्मी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहे। आज भोपाल में विभाग पूरी तरह से खराब है।