रवींद्रनाथ टैगोर के रंग पर केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी पर विवाद, कहा-“सांवले होने के कारण मां गोद नहीं लेती थीं”

Shruty Kushwaha
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कोलकाता, डेस्क रिपोर्ट। पश्चिम बंगाल (West Bengal) में गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) के रंग को लेकर केंद्रीय राज्य शिक्षा मंत्री डॉ सुभाष सरकार (Subhash Sarkar) की टिप्पणी पर विवाद खड़ा हो गया है। उन्होने कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता टैगोर का रंग गोरा नहीं था, इसलिए बचपन में उनकी मां ने उन्हें गोद में नहीं लिया था।

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बुधवार को केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार विश्व भारती सम्मेलन में शामिल हुए थे और यहां उन्होने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर अपने परिवार के अन्य सदस्यों के मुकाबले सांवले थे। इसीलिए उनकी मां ने भी उनके साथ भेदभाव किया और मां सहित अन्य लोग भी उन्हे गोद में लेने से कतराते थे। सुभाष सरकार ने आगे कहा कि दो तरह की गोरी त्वचा होती है, एक पीली आभा वाली और दूसरे लाल रंगत वाले। रवींद्रनाथ टैगोर के परिवार के अन्य सदस्य बेहद गोरे थे लेकिन उनका रंग लाल रंग की आभा लिए था और इसीलिए उन्हें मां गोद में नहीं उठाती थीं। जिस समय केंद्रीय मंत्री ने ये टिप्पणी की उस समय वहां विश्वभारती के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती, बीजेपी जिलाध्यक्ष ध्रुव साहा और दुबराजपुर से बीजेपी विधायक अनूप साहा भी मौजूद थे।

इस बयान के विरोध में टीएमसी सहित कई विपक्षी दल और टैगोर समर्थक भी सामने आ गए हैं। टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने इस टिप्पणी को नस्लभेदी करार देते हुए कहा कि सुभाष सरकार को इतिहास नहीं पता है। यह सब जानते हैं कि रवींद्रनाथ टैगोर की त्वचा का रंग गोरा था। उन्होने नस्लवादी टिप्पणी करते हुए बंगाल का अपमान किया है। इसके बाद अब सुभाष सरकार को फिर कभी विश्व भारती में घुसने नहीं देना चाहिए। वहीं सीपीआईएम ने भी इस बयान की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह के बयान बीजेपी की नस्लवादी और बंगाली विरोधी सोच को दर्शाते हैं। हालांकि बीजेपी सुभाष सरकार के पक्ष में खड़ी हो गई है और उसका कहना है कि ये बयान नस्लभेद के खिलाफ था और विरोधी पार्टियां इसपर राजनीति कर रही हैं।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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