भोपाल।
कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए राज्य के सभी कर्मचारियों का एक दिन का वेतन कोरोना राहत कोष में दिया जाएगा। वहीं जो कर्मचारी अपने वेतन में कटौती करने के लिए तैयार नहीं हैं। वे सोमवार तक अपने संबंधित अधिकारी को यह निर्णय पत्र के माध्यम से सूचित कर सकते हैं। यह निर्णय कर्मचारी संघ के एक अनुरोध के बाद लिया गया है। जिसका मुख्य उद्देश्य इस महामारी से लड़ने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में 100 करोड़ रुपये तक जोड़ने की है ताकि प्रदेश में तेजी से फैल रहे संक्रमण से लड़ने में सरकार की मदद हो सके।
अधिकारियों ने कहा है कि मध्य प्रदेश में कोविड19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में मदद करने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों का एक दिन का मूल वेतन अप्रैल माह के वेतन से काटा जाएगा। जो कि मई में देय है। इसी के साथ उन सरकारी सेवकों की कटौती अप्रैल के वेतन से नहीं की जाएगी। जिन्होंने मार्च के मासिक वेतन से मुख्यमंत्री राहत कोष में स्वैच्छिक योगदान दिया है। वहीं यदि कोई भी सरकारी कर्मचारी एक दिन के मूल वेतन से कम या किसी भी कारण से अधिक राशि की कटौती से असहमत होता है तो उसके लिए आवश्यक है कि वह 20 अप्रैल तक लिखित में संबंधित सूचना अधिकारी को उपलब्ध करवाए।
राज्य सरकार के सभी विभागों के प्रमुखों, संभागीय आयुक्तों और जिला कलेक्टरों को सरकार के (भारतीय स्टेट बैंक के वल्लभ भवन शाखा) में मुख्यमंत्री राहत कोष में कटौती की गई राशि जमा करने के लिए आवश्यक कार्रवाई शुरू करने के लिए कहा गया है।बता दे कि दो दिन पूर्व ही राज्य के प्रमुख औद्योगिक प्रतिष्ठानों ने मुख्यमंत्री राहत कोष में 38.17 करोड़ रुपए का योगदान दिया था। राज्य सरकार को उम्मीद है कि संकट के इस समय में और लोग आगे आएंगे। जिससे कोरोना के खिलाफ लड़ाई को गति मिलेगी।