मप्र विधानसभा : कांग्रेस की राह पर BJP, बुंदेलखंड के खाते में जा सकता है उपाध्यक्ष का पद

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।  आगामी माह से शुरु होने वाले मध्‍यप्रदेश विधानसभा (Madhya Pradesh Assembly) के बजट सत्र (Budget Session 2021) से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच विधानसभा उपाध्यक्ष (Assembly Deputy Speaker) को लेकर खींचतान शुरु हो गई है। कांग्रेस (Congress) की तरह बीजेपी (BJP) ने भी फैसला किया है कि वो अध्यक्ष के साथ साथ उपाध्यक्ष का पद भी अपने पास रखेगी।कयास लगाए जा रहे है कि अध्यक्ष का पद 17 साल बाद विंध्य के खाते में तो उपाध्यक्ष का पद बुंदेलखंड (Bundelkhand) के हिस्से में आ सकता है।

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22 फरवरी से शुरु हो रहे  बजट सत्र (Budget Session 2021) में मध्‍यप्रदेश विधानसभा (Madhya Pradesh Assembly) के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होना प्रस्तावित है। संभावना है कि 22 फरवरी को अध्यक्ष और 23 फरवरी उपाध्यक्ष चुना जा सकता है। कांग्रेस की तरह बीजेपी भी दोनों पद अपने पास रखने की तैयारी में है। BJP प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (BJP state president VD Sharma) साफ कह चुके है कि कांग्रेस ने मप्र विधानसभा में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के चुनाव की परंपरा तोड़ी थी और दोनों पद अपने पास रखे थे, इसलिए बीजेपी भी दोनों पद अपने पास रखेगी, इसलिए उपाध्यक्ष का पद कांग्रेस को नहीं दिया जाएगा।

हालांकि विधायकों की संख्या अधिक होने की वजह से दोनों पद कांग्रेस के खाते में आए थे। इसमें निर्दलीय, सपा और बसपा विधायक भी शामिल थे।लेकिन अब स्थिति अलग है और गेंद बीजेपी के पाले में है, ऐसे में यदि मतदान की नौबत आती है तो इस बार दोनों पद BJP के हिस्से में आ सकते हैं। ऐसे में चर्चाएं जोरों पर है कि आखिर विधानसभा का उपाध्यक्ष कौन होगा।

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अटकलें लगाई जा रही है कि जातिगत समीकरणों को देखते हुए उपाध्यक्ष का पद बुंदेलखंड के खाते में जा सकता है।सुत्रों की माने तो बीजेपी अनुसूचित जाति के विधायक को उपाध्यक्ष बना सकती है। वही 17 साल बाद कोई विधायक विंध्य से अध्यक्ष बन सकता है। वर्तमान में रीवा(Rewa) की देवतालाब विधानसभा सीट (Devtlab Assembly Seat) से गिरीश गौतम  और सीधी विधानसभा सीट (Sidhi Assembly Seat) से केदारनाथ शुक्ल का नाम प्रबल दावेदार के रुप में देखा जा रहा है।वही पूर्व स्पीकर सीताशरण शर्मा (Former speaker sitasharan sharma) का नाम भी सुर्खियों में है।

राजनीतिक हल्कों में चर्चा तो यह भी है कि विधानसभा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का नाम तय करने के साथ-साथ शिवराज मंत्रिमंडल (Shivraj cabinet) की बची हुई सीटों पर भी मंथन हो सकता है इसकी पीछे बड़ी वजह यह है कि विंध्य में अध्यक्ष पद जाता है तो यहां से मंत्री पद के दावेदार राजेंद्र शुक्ला, नागेंद्र सिंह नागोद, नागेंद्र सिंह गुढ़ की राह मुश्किल हो जाएगी। ।वर्तमान में शिवराज मंत्रिमंडल में 30 मंत्री है और अधिकतम 34 मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है।इसमें नाराज नेताओं को एडजस्ट करने की तैयारी की जा रही है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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