फर्जीवाड़े में पकड़े गए डॉक्टर का बीजेपी कनेक्शन

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भोपाल।  कुलपति बनने के लिए राजभवन पहुंचकर राज्यपाल से अपने मित्र की बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह बता कर बात कराने के आरोप में पकड़े गए डॉ चंद्रेश कुमार शुक्ल का बीजेपी से कनेक्शन उसकी फेसबुक प्रोफाइल से साफ दिख रहा है ।सूत्रों की मानें तो बीजेपी के एक बहुत बड़े नेता की पत्नी का आशीर्वाद डॉक्टर शुक्ल को प्राप्त था और उन्हीं के  रसूख के चलते डॉक्टर शुक्ला बीजेपी के कई नेताओं से जुड़ गया था। इन्हीं संबंधों का लाभ उठाकर धीरे-धीरे उसने भाजपा सरकार में अपनी पैठ बना ली थी। अब s.t.f. यह भी जानने का प्रयास कर रही है कि इन संबंधों की आड़ में डॉक्टर  शुक्ल ने किन-किन लोगों से फायदे लिए।

क्या है मामला

मध्य प्रदेश के आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति बनवाने के लिए एक विंग कमांडर ने कानून को ताक पर रख कर गृह मंत्री बन राज्य पाल को सिफारिश के लिए फोन कर दिया। विंग कमांडर कुलदीप बाघेला अपने दोस्त डॉक्टर चंद्रेश कुमार शुक्ला को इस विवि का कुलपति बनवाना चाहता था। जिसके लिए उसने राज्यपाल लालजी टंडन को फोन लगाया। लेकिन संदेह होने के बाद राजभाव की शिकायत पर एसटीएफ ने कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। 

दरअसल, विंग कमांडर कुलदीप बाघेला ने अमित शाह बनकर राज्यपाल लालजी टंडन से की डॉक्टर चंद्रेश कुमार शुक्ला को आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति बनाने सिफारिश की। शक होने पर राजभवन ने मामले की एसटीएफ में की थी शिकायत। डॉक्टर चंद्रेश कुमार शुक्ला ने कुलपति पद के लिए आवेदन किया था। वह इस पद पर जाने के लिए अपने दोस्त के साथ यह योजना बनाई। विंग कमांडर एयरफोर्स हैड क्वार्टर दिल्ली में पदस्थ हैं। राज्यपाल और उनके स्टाफ को फोन कॉल में गड़बड़ लगी तथा दिल्ली में गृह मंत्री शाह के बंगले पर इस तरह के कॉल का सत्यापन कराया। फोन कॉल मंत्री के यहां से नहीं किए जाने पर मामला एसटीएफ को सौंपा गया जिसने विंग कमांडर व डॉ. चंद्रेश कुमार शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया। एसटीएफ एडीजी अशोक अवस्थी ने बताया कि जबलपुर के मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में कुलपति चयन होना था जिसके लिए कई लोगों ने बायोडाटा दिए थे। कुलपति चयन के लिए सर्च कमेटी ने साक्षात्कार भी लिए थे।


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