MP में निवेश बढ़ाने की कवायद, जीतू पटवारी ने सरकार को घेरा, कहा ‘इन्वेस्टर समिट के नाम पर मध्यप्रदेश सालों से कागजी घोड़े दौड़ा रहा है’

मुख्यमंत्री मोहन यादव मध्य प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आज मुंबई में औद्योगिक प्रतिनिधियों से मुलाक़ात कर रहे हैं। इस बीच कांग्रेस ने कहा है कि निवेश के नाम पर हर बार सिर्फ नौटंकी होती है, झूठे आंकड़ों का बड़ा और भारी मायाजाल तैयार कर लिया जाता है।

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MP News : मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव आज मुंबई में आयोजित “Investment Opportunity in Madhya Pradesh” कार्यक्रम में उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियों और प्रतिनिधियों से मिल रहे हैं। मध्य प्रदेश बजट प्रस्तुत होने के बाद भी उन्होंने कहा था कि प्रदेशवासी सक्षम बनें और बाहर से भी प्रदेश में निवेश आए इसके लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। सीएम ने घोषणा की थी कि अगले साल फरवरी में सरकार भोपाल में ग्लोबल इंडस्ट्रियल समिट करने जा रही है। लेकिन अब इस मुद्दे पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है कि इन्वेस्टर समिट के नाम मध्यप्रदेश सालों से कागजी घोड़े दौड़ा रहा है। इसी के साथ उन्होंने निवेश से जुड़ी समस्याओं को भी गिनाया है।

इन्वेस्टर समिट को लेकर कांग्रेस ने सरकार को घेरा

जीतू पटवारी ने एक्स पर लिखा है कि ‘आदरणीय मुख्यमंत्री जी, इन्वेस्टर समिट के नाम पर मध्यप्रदेश सालों से कागजी घोड़े दौड़ा रहा है! इतने ज्यादा कि अब तो सचिवालय का पूरा अस्तबल ही कागजों से भर गया है! बावजूद इसके यह घुड़दौड़ न कम हो रही है, न रुक रही है! मध्यप्रदेश में यदि औद्योगिक निवेश आए, यह सबसे बड़ी आवश्यकता है! परेशानी सिर्फ यह है कि निवेश के नाम पर हर बार सिर्फ नौटंकी होती है! झूठे आंकड़ों का बड़ा और भारी मायाजाल तैयार कर लिया जाता है! यदि आप ईमानदारी से पुराने निवेश की जमीनी हकीकत पता करेंगे, तो तत्काल समझ जाएंगे कि निवेश के प्रचार-प्रसार में जितना सरकारी निवेश हुआ है, वह भी इतना ज्यादा है कि खुद निवेश को शर्म आ जाए!’

जीतू पटवारी ने गिनाई समस्याएँ 

उन्होंने कहा कि ‘मैं निवेश से जुड़ी 10 बुनियादी और बहुत ही प्रारंभिक समस्याएं आपके संज्ञान में ला रहा हूं. बेहतर होगा सरकार पहले इन्हें समझ ले! ताकि बीजेपी सरकार के हवा में उड़ते सरकारी बयान जमीन पर उतर सकें! 1. इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी : सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी को प्राथमिकता से दूर किया जाना चाहिए! 2. भ्रष्टाचार : सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार और लालफीताशाही सिर चढ़कर बोल रही है! इसे कौन और क्यों संरक्षण दे रहा है? 3. नीतिगत अनिश्चितता : निवेश और उद्योग से संबंधित नीतियों में अस्थिरता और अस्पष्टता उद्योगपतियों की अरुचि का बड़ा कारण है! 4. भूमि अधिग्रहण की समस्याएं : सरकार भूमि अधिग्रहण की प्रक्रियाओं में देरी, मुआवजा विवाद दूर क्यों नहीं कर पा रही है? 5. उच्च ब्याज दरें : बैंकों से ऋण प्राप्त करने में कठिनाई और उच्च ब्याज दरें निवेश के रास्ते की बड़ी बाधा बनी हुई है!’

आगे उन्होंने लिखा है कि ‘समाधान क्या हैं? 6. तकनीकी ज्ञान की कमी.: औद्योगिक इकाइयों में प्रशिक्षित श्रमिकों और तकनीकी विशेषज्ञों की कमी है! उपाय क्या हैं? 7. पर्यावरणीय मंजूरी : पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करने में देरी और जटिलताएं निवेश प्रक्रिया को धीमा कर रही हैं! क्यों? 8. लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्टेशन : परिवहन सुविधाओं व लॉजिस्टिक्स में कमी से प्रदेश का औद्योगिक पिछड़ापन कब तक बना रहेगा? 9. उद्योग-विशिष्ट समस्याएं : कुछ उद्योगों के लिए कच्चे माल की उपलब्धता ही सबसे बड़ी परेशानी है! सरकार क्या मदद करेगी? 10. राज्यों से प्रतिस्पर्धा : अन्य राज्य बेहतर निवेश प्रोत्साहन और सुविधाएं दे रहे हैं! फिर मप्र में निवेश क्यों होगा? बेहतर होगा पहले ऐसे अनेक बिंदुओं पर होमवर्क कर लें! उद्योगपतियों की परेशानियों को सूचीबद्ध कर लें! उसके बाद ही निवेश जैसे शब्दों को बोलने की कोशिश करें! क्योंकि, हमारा कर्जदार प्रदेश अब बार-बार की “निवेश-नौटंकी” झेलने की स्थिति में नहीं है!’


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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