भोपाल| मध्य प्रदेश में 13 साल से अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान सत्ता जाने के बाद भी पहले से अधिक सक्रिय नजर आ रहे हैं| मुद्दा चाहे कोई भी हो सरकार को घेरने और जनता के बीच अपनी मौजूदगी बनाये रखने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ते| नियमितीकरण की मांग को लेकर धरने पर बैठे अतिथि विद्वानों की लड़ाई लड़ने शिवराज भी धरना स्थल पहुँच गए और विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने का आश्वासन दिया| साथ ही उन्होंने प्रशासन को भी चेतावनी देते हुए कहा कि ‘अतिथि विद्वानों को हाथ मत लगा देना, ऊँगली मत उठा लेना, नहीं तो हमसे बुरा कोई नहीं होगा..टाइगर अभी ज़िंदा है’
राजधानी भोपाल स्थित शाहजहांनी पार्क में प्रदेश भर के शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण को लेकर चार्ल रहे आंदोलन को बीजेपी का साथ मिल गया| सोमवार को धरना स्थल पर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहुंचे| इस दौरान शिवराज ने कहा विधानसभा में हम पूरी ताकत के साथ अतिथि विद्वानों की मांगों को उठायेंगे। इसके बाद भी सरकार नहीं मानी तो ईंट से ईंट बजा देंगे|
अतिथि विद्वानों के मंच से पूर्व सीएम शिवराज ने कहा कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद की शपथ लिये एक साल होने को आया। मैं मुख्यमंत्री जी से मांग करता हूं कि बिना एक क्षण गंवाए, अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का आदेश पारित कीजिए। उन्होंने कहा मेरी अतिथि विद्वान बहनों को पुलिस ने घसीट-घसीटकर वज्र वाहन में डाला। अतिथि विद्वानों के साथ ऐसा अन्याय होते मैं नहीं देख सकता। सरकार ने इनकी मांगें नहीं मानी, तो हम सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होंगे|
पूर्व सीएम ने कहा मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि ये ऐसे लोग नहीं हैं कि कहीं से उठाया और अतिथि विद्वान बना दिये, बल्कि इनका चयन पारदर्शी प्रक्रिया के तहत हुआ है। 25-25 साल से सेवा कर रहे हैं। अब उम्र के ऐसे पड़ाव पर ये कहां जायेंगे? सरकार इनके साथ न्याय करे| उन्होंने कहा मैं अपने अतिथि विद्वान भाई-बहनों से कहना चाहता हूं कि आपको अपनी जायज मांगें मनवाने के लिए अनशन पर बैठने की जरूरत नहीं है। आपकी मांगों को विधान सभा में भी हम पूरी ताकत के साथ उठायेंगे। इसके बाद भी सरकार नहीं मानी तो ईंट से ईंट बजा देंगे, जो रिक्त पद पड़े हैं, उन पर इन अतिथि विद्वानों की सरकार नियुक्ति कर इन्हें नियमित कर दे, समस्या का समाधान हो जायेगा| पूर्व सीएम शिवराज के अलावा गोपाल भार्गव ने भी अतिथि विद्वानों की मांगों को लेकर सरकार को घेरा और मामला विधानसभा में उठाने की बात कही|