भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में होने वाले उपचुनाव (By-election) को लेकर सभी राजनीतिक दल (Political Parties) और उनके प्रत्याशी मैदान में उतर चुके हैं। जनता के बीच जाकर अपने लिए वोट मांगने का काम भी शुरू कर दिया है। प्रदेश में 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के जरिए सत्ता बचाने के लिए भाजपा (BJP) ने अपने दिग्गज स्टार प्रचारकों (Star Campaigners) के साथ चुनाव प्रबंधन (Election Management) में माहिर विशेषज्ञों की टीम भी उतार दी है। चुनावी मैदान में ‘दस का दम’ दिखा रही भाजपा हाईकमान (BJP High Command) ने अपनी परखी हुई टीम को फ्री हैंड (Free Hand) दे रखा है।
दरअसल, पिछले तीन चुनाव की तरह यह उपचुनाव भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) के चेहरे को सामने रखकर हो रहा है। यह चुनाव इस मायने में भी अलग है कि ऐतिहासिक सियासी उथल-पुथल के बाद सत्ता पर काबिज कांग्रेस (Congress) की 15 माह की कमल नाथ सरकार (Kamal Nath Government) की विदाई हो गई। राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के समर्थन में कांग्रेस और विधायकी छोड़ने वाले नेता अब भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। सभी 28 प्रत्याशियों के लिए ‘करो या मरो’ की लड़ाई है। सिंधिया की साख भी दांव पर है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) की परखी जोड़ी को भाजपा लोकसभा और विधानसभा के कुल आधा दर्जन चुनाव में आजमा चुकी है। इनके साथ संगठन महामंत्री के रूप में सुहास भगत (Suhas Bhagat) को शामिल करें तो सत्ता-संगठन की यह त्रिमूर्ति बूथ स्तर की जमावट में जुटी है।
उपचुनाव में भाजपा के माहिर खिलाड़ियों ने संभाला
शिवराज सिंह चौहान- मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) प्रदेश में भाजपा का सबसे लोकप्रिय चेहरा है, जो समाज के हर वर्ग में स्वीकारोक्ति है। शिवराज चुनावी रणनीति के माहिर खिलाड़ी भी है। मुख्यमंत्री पार्टी के रूठे नेताओं को मनाने में लगातार सक्रिय है। अब तक शिवराज 45 से अधिक चुनावी सभाएं कर चुके है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया – राज्यसभा सांसद
राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया अपना सियासी कॅरियर दांव पर होने से ‘करो या मरो’ की लड़ाई लड़ रहे है। लगातार सभाएं कर अपने समर्थकों को जिताने के लिए पसीना बहा रहें है। मुख्यमंत्री शिवराज के साथ समन्वय से कई संयुक्त सभाएं भी कर रहें है।
डॉ. नरोत्तम मिश्रा – गृह मंत्री
प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) का डबरा, भांडेर और ग्वालियर अंचल की सीटों पर काफी अच्छा प्रभाव माना जाता है। उन पर विपक्ष के सियासी हमलों का काउंटर और पलटवार की जवाबदारी है। प्रचार के अलावा रणनीतिक जमावट के लिए भी गृह मंत्री जाने जाते है।
वीडी शर्मा – प्रदेश भाजपा अध्यक्ष
वीडी शर्मा (VD Sharma) के जमीनी नेता होने से कार्यकर्ताओं में उनकी गहरी पैठ है। उप चुनाव की घोषणा होने के पहले से ही सक्रिय भूमिका में नज़र आ रहें है। उनकी संगठन की ओर से बूथ स्तर (Booth level) पर तगड़ी जमावट है। अब तक 30 से अधिक अलग सभाएं ले चुके हैं।
नरेंद्र सिंह तोमर – केंद्रीय मंत्री
केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के विश्वास में खरे है। मुख्यमंत्री शिवराज के साथ-साथ उनकी भी प्रदेश में उतने ही लोकप्रिय नेता की छवि है। तोमर अब तक 25 से अधिक बड़ी चुनावी सभाओं और बैठक कर चुके है।
कैलाश विजयवर्गीय – महामंत्री
पीएम मोदी व गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के भरोसेमंदों में से एक है। मध्य प्रदेश, हरियाणा और बंगाल में चुनावी प्रबंधन और रणनीतिक कौशल। कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) का मालवा निमाड़ पर ज्यादा फोकस है। अब तक टूटे नेताओं को मनाने में कामयाब रहें है।
सुहास भगत – संगठन मंत्री
माइक्रो लेवल और बूथ की लगातार समीक्षा कर रहें है। चुनावी सभाओं का प्रबंध देखने में अनुभवी है। मैदानी कार्यकर्ताओं की टीम तैनात करने के रणनीतिकार भी माने जाते है।
भूपेंद्र सिंह – नगरीय विकास मंत्री
भूपेंद्र सिंह (Bhupendra Singh) के पास चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक का दायित्व है। चुनावी रणनीति, सर्वे, सोशल मीडिया और प्रचार युद्ध की बागडोर भी उनके ही हाथों में है। सुरखी की सीट (Surkhi Assembly Seat) से प्रभारी के बतौर प्रत्याशी को जिताने की जवाबदारी भी इनके पास है।
थावरचंद गहलोत – केंद्रीय मंत्री
थावरचंद गहलोत (Thawar Chand Gehlot) का मालवा की सीट (Malwa Seats) पर विशेष असर है। आरक्षित वर्ग (Reserved class) की सीटों को जिताने के लिए वें भाजपा का मुख्य चेहरा है। स्टार प्रचारक के अलावा संगठन के नेता कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क भी है।