खुशखबरी: नए साल से पहले केंद्र का मध्य प्रदेश को बड़ा तोहफा, इन जिलों से होगी शुरुआत

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। नए साल से पहले केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार को बड़ी सौगात दी है।  केंद्र ने मध्य प्रदेश को 5 जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन (genome sequence machine) दी है। ये मशीनें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा के मेडिकल कॉलेजों में लगाई जाएंगी। इससे समय पर रिपोर्ट मिलने से संक्रामक वैरिएंट के मरीजों को आइसोलेट करने में मदद मिलेगी।

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दरअसल, मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया से मुलाकात की और फिर केंद्रीय मंत्री ने मध्यप्रदेश को कोरोना के हर वेरिएंट से लड़ने के लिए 5 जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन दी हैं। चिकित्सा शिक्षा मंत्री  सारंग ने बताया कि मध्यप्रदेश की जनता के स्वास्थ्य का बेहतर ख्याल रखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री  मनसुख मांडविया (Mansukh Mandaviya)  ने राज्य को 5 जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन दी हैं। यह मशीन भोपाल, इंदौर, जबलपुर, रीवा और ग्वालियर में लगाई जायेंगी।

उन्होंने कहा कि अब तक राज्य के नमूने को दिल्ली भेजा जाता था, जिसकी रिपोर्ट 10 से 12 दिन बाद आती थी, लेकिन जैसे ही ये 5 जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन राज्य में लग जायेंगी, रिपोर्ट जल्दी मिल जायेगी। इन मशीनों के रूप में कोरोना के खिलाफ जंग में राज्य सरकार को एक बड़ी उपलब्धि मिली है। इसका लाभ राज्य की जनता को मिलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि मध्यप्रदेश में फिलहाल कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का कोई मामला नहीं है।

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मंत्री  सारंग ने कहा कि हमारी माँग थी कि राज्य के छह मेडिकल कॉलेज (Medical College) के लिए विशेष बजट दिया जाये। यहाँ के सरकारी नर्सिंग कॉलेज को बेहतर बनाया जाये। इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने विशेष बजट देने पर सहमति जताई है। साथ ही राजधानी भोपाल में सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल (Super Specialty Hospital)बनाया जायेगा।  मध्यप्रदेश के लिए आज एक बड़ा दिन है, जब राज्य सरकार की मांग को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी सहमति प्रदान की है।

क्या होता है जीनोम सीक्वेंसिंग 

बता दे कि जीनोम सीक्वेंसिंग एक तरह से किसी वायरस का बायोडाटा होता है। कोई वायरस कैसा है, किस तरह दिखता है, इसकी जानकारी जीनोम से मिलती है, वायरस के इसी विशाल समूह को जीनोम कहा जाता है। वायरस के बारे में जानने की विधि को जीनोम सीक्वेंसिंग कहते हैं, इससे ही कोरोना के नए स्ट्रेन के बारे में पता चला है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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