जबलपुर, संदीप कुमार। देश की जेलों में सजा काट रहे क्षमता से अधिक कैदियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है और सभी हाई कोर्ट को एहतियातन कदम उठाने के निर्देश भी दिए हैं। इसी को देखते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (High Court) में इस पूरे मामले में अब स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका बतौर सुनवाई शुरू की। ऐसा इसलिए भी क्योंकि कोविड-19 में क्षमता से अधिक कैदियों के कारण कोरोना संक्रमण और भयंकर रूप ले सकता है। ऐसे में बंदियों की संख्या पैरोल के जरिए कम की जा सकती है। इस मामले में अधिवक्ता संकल्प कोचर को कोर्ट मित्र नियुक्त किया गया है। राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्पेंद्र यादव पक्ष रख रहे हैं।
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हाई कोर्ट ने अपने आदेश में व्यवस्था दी है कि नए बंदियों को पुराने कैदियों से अलग रखा जाए। सबसे पहले उनका कोरोना टेस्ट कराया जाए। इसी तरह पुराने बंदियों का भी हर 15 दिन में एक बार कोविड-19 टेस्ट होना अनिवार्य किया गया है। यदि कोई कोविड-19 पॉजीटिव आता है तो फिर सरकारी अस्पताल में इलाज करवाया जाएगा। वहीं किशोर बंदीगृहों के बंदियों का भी समय-समय पर कोरोना टेस्ट कराने के हाई कोर्ट ने निर्देश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने वैक्सीनेशन को लेकर भी गंभीरता दिखाई है। उन्होंने आदेश दिया है कि 18 से 45 वर्ष एवं 45 वर्ष से अधिक के जेल बंदियों के वैक्सीनेशन की दिशा में किसी भी तरह की लापरवाही न बरती जाए। इसके लिए सरकार को एक्शन प्लान भी बनाना चाहिए। सभी दिशा निर्देशों के संदर्भ में हाई पावर कमेटी अविलंब कार्रवाई सुनिश्चित करें। इस मामले की अगली सुनवाई 17 मई को रखी गई है।