जबलपुर, संदीप कुमार। मध्यप्रदेश हाइकोर्ट (High Court) ने एक सु-मोटो याचिका पर केंद्र व राज्य सरकार से पूछा है कि सांसदों, विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के तीव्र गति से निपटारे के लिए क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं। हाइकोर्ट की डिवीजन बेंच ने केंद्र सरकार के विधि मंत्रालय, राज्य सरकार, राज्य सरकार के मुख्य सचिव, विधि एवं विधायी कार्य विभाग के प्रमुख सचिव व मध्यप्रदेश हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को इस सम्बंध में नोटिस जारी किया है। बेंच ने ईमेल से नोटिस भेजने का निर्देश देकर मामले की अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को तय की है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाइकोर्ट ने स्वतः संज्ञान याचिका दायर की है।
यह है मामला
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितम्बर 2020 को सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से कहा था कि वे उनके यहां लंबित ऐसे आपराधिक मामलों को तत्काल सुनवाई के लिए उचित पीठ के समक्ष लगाएं। विशेषकर जिन मामलों में कोर्ट ने रोक आदेश जारी कर रखा है, उनमें पहले यह देखा जाए कि रोक जारी रहना जरूरी है कि नहीं। अगर रोक जारी रहना जरूरी है, तो उस मामले को रोजाना सुनवाई करके दो महीने में निपटाया जाए। इसमें कोई ढिलाई न हो।
कोरोना नहीं हो सकती बाधा
सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश में स्पष्ट किया कि इस काम में कोरोना महामारी बाधा नहीं हो सकती, क्योंकि ये सारे मामले वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुने जा सकते हैं। सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से मामले के निपटारे के लिए जरूरी विशेष अदालतों की संख्या तथा ढांचागत संसाधनों के बारे में एक कार्य योजना तैयार करके भेजने का निर्देश दिया गया था।