गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दिग्विजय सिंह को समझाया वंशबेल का अर्थ तो अजय विश्नोई को लेकर कही ये बात

Gaurav Sharma
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भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। बुधवार को मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Home Minister Narottam Mishra) ने बीते दिन कृषि बिल (Agricultural bill) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा लगाई गई रोक को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress Leader Rahul Gandhi) द्वारा किए गए ट्वीट पर मीडिया से चर्चा करते वक्त पलटवार किया है। दरअसल, ट्वीट में राहुल गांधी ने लिखा खा कि क्या कृषि-विरोधी क़ानूनों का लिखित समर्थन करने वाले व्यक्तियों से न्याय की उम्मीद की जा सकती है? ये संघर्ष किसान-मज़दूर विरोधी क़ानूनों के ख़त्म होने तक जारी रहेगा। जय जवान, जय किसान!

 

राहुल गांधी के ट्वीट पर गृह मंत्री का पलटवार

राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इटली में बैठकर किया उनका ट्वीट मैंने भी पढ़ा है। दरअसल वो किसी संवैधानिक पद पर तो वो वैसे नहीं है, लेकिन उनके पक्ष में जब भी फैसला नहीं आता है तो वह न्यायपालिका पर भी अप्रत्यक्ष रूप से उंगली उठाते ही हैं। जब उनके पक्ष में फैसला नहीं आता तो वो ईवीएम पर उंगली उठाते ही है। सेना अगर पाकिस्तान में घुस जाए तो वह सेना पर उंगली उठाते ही हैं। जब कोरोनावायरस की वैक्सीन पर उंगली उठा दी तो उनसे और क्या उमीद कर सकते है। हम लोग कोई भी सरकार हो मध्यप्रदेश की हो या दिल्ली की हो संविधान की शपथ लेते है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे। लेकिन मैं ये पहले से रह रहा हूं की ये बलवा करना चाहते है। ये चाहते है कि अराजकता की स्थिति पैदा हो। जो टुकड़े टुकड़े गैंग है वो इसमें रास्ता नहीं निकलने दे रही है।

 

दिग्विजय सिंह ने कसा पीएम पर वंशबेल का तंज

वहीं आज मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा एक ट्वीट किया गया था जिसमें उनके द्वारा एक लिंक शेयर किया गया था और उसपर रिपलाई में लिखा गया था कि मोदी जी भाजपा की वंशबेल या Dynasty Politics के उदाहरण देख लें।

 

गृह मंत्री ने समझाया वंशबेल का अर्थ

पूर्व सीएम द्वारा पीएम मोदी पर कसे गए तंज पर जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि मैंने देखा है कि वह दिग्विजय सिंह का ट्वीट है या री ट्वीट है, वैसे तो वह बहुत ज्ञानी है पर मैं उनको बताऊं कि वंशबेल क्या होता है। वंशबेल होता है कि नेहरू जी हटेंगे तो इंदिरा जी आएंगी, वह अध्यक्ष पद से हटे तो यह अध्यक्ष बन जाएंगी। इंदिरा जी अध्यक्ष पद से हटेंगी तो राजीव जी अध्यक्ष बन जाएंगे। राजीव जी हटेंगे तो सोनिया जी अध्यक्ष बन जाएंगी। सोनिया जी हटेगी तो राहुल जी अध्यक्ष बन जाएंगे और राहुल जी हटेंगे तो सोनिया जी अध्यक्ष बन जाएंगी। राजा का बेटा राजा बनेगा यह वंशबेल है। ना कि वह वंशबेल कहलाती है जो प्रोसेस कर के ऊपर जाते हैं। एक कार्यकर्ता की भांती आएगे, मंडल अध्यक्ष बनेंगे, एमएलए बनेंगे फिर एमपी बनेंगे येह वंशबेल नहीं कहलाती। उत्तराधिकारी होना वंशबेल कहलाता है। हमारी पार्टी में अटल जी के बाद कौन? आडवाणी जी के बाद कौन ? कोई बता सकता है कि मोदी जी के बाद कौन ? कोई बता सकता है ठाकरे जी के बाद कौन ? नहीं बता सकते हैं। मैं दिग्विजय सिंह का ज्ञानवर्धक नहीं कर रहा पर सोचने की बात है सिर्फ एक परिवार की खुश करने के लिए ट्वीट कर देना रिट्वीट कर देना अच्छा नहीं है। शब्दों को ऐसे भी प्रस्तुत ना किया जाए कि लोगों को समझ में ही ना आए।

 

हम करेंगे अजय विश्नोई की खुशामद- गृह मंत्री

वहीं अजय विश्नोई द्वारा किए गए ट्वीट महाकौशल के 13 भाजपा विधायकों में से एक को तथा रीवा संभाग में 18 भाजपा विधायकों में से एक को राज्य मंत्री बनने का सौभाग्य मिला है। महाकौशल और विंध्य अब फड़फड़ा सकते हैं उड़ नहीं सकते। महाकौशल और विंध्य को अब खुश रहना होगा। खुशामद करते रहना होगा। बधाई, जिसपर प्रतिक्रिया देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि आज भी वह मेरे साथी हैं। हमेशा साथ ही रहेंगे। हम उनकी खुशामद करेंगे।

 

 

 

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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