भोपाल। सामूहिक विवाह कार्यक्रम में शिक्षकों की ड्यूटी लगाने के मामले में मचे बवाल के बाद आख़िरकार प्रशासन को अपना आदेश निरस्त करना पड़ा| एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ ने इस सम्बन्ध में प्रमुखता से खबर चलाई थी| सीहोर जिले के नसरुल्लागंज के अनुविभागीय अधिकारी ब्रिजेश कुमार सक्सेना ने 14 जून को यह आदेश जारी किया था। आदेश जारी होते ही शिक्षकों ने विरोध शुरू कर दिया। मीडिया में खबरे आने के बाद आखिर रविवार को अनुविभागीय अधिकारी ने दो दिन पुराना आदेश निरस्त कर दिया।
दरअसल, नसरुल्लागंज में सोमवार 17 जून को जनपद पंचायत के तत्वाधान में मुख्यमंत्री कन्यादान एवं विकास योजना के अंतर्गत सामूहिक विवाह एवं निकाह सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। यह सम्मेलन शासकीय उत्कृष्ट स्कूल मैदान में आयोजित किया गया है। हैरानी की बात तो ये है कि इस सम्मेलन में शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई। बकायदा इसके लिए प्रशासन ने आदेश भी जारी किए। आदेश के मुताबिक शिक्षकों को 17 जून को अनुभाग में होने वाले सामूहिक विवाह कार्यक्रमों में पंडित की भूमिका अदा करनी थी। उन्हें मंच से मंत्रोच्चार करना था और वर-वधु के फेरे भी पड़वाना थे। इस कार्यक्रम में पंडताई का काम सरकारी शिक्षकों को सौंपा गया था। अनुविभागीय अधिकारी ने 25 ब्राह्मण शिक्षकों को तैनात किया था।
आदेश जारी होते ही शिक्षकों ने विरोध शुरू कर दिया। अनुविभागीय अधिकारी ब्रिजेश कुमार सक्सेना ने अपने आदेश को निरस्त कर दिया| बता दें कि दो साल पहले सिंगरौली के तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी आरके दुबे ने शिक्षकों की सामूहिक विवाह कार्यक्रम में खाना परोसने से लेकर अन्य व्यवस्थागत काम करने की ड्यूटी लगाई थी। जिसका भी जमकर विरोध हुआ था|