भोपाल।
लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश की कमलनाथ सरकार एक के बाद एक दांव खेल रही है।कर्जमाफी के बाद अब सरकार सहकारी समितियों को सौगात देने की तैयारी कर रही है। खबर है कि प्रदेश में किसानों की कर्जमाफी के बाद सहकारी समितियों को भारी नुकसान होने की संभावना है, जिसे बचाने के लिए प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने छह हजार करोड़ का निवेश करने का फैसला किया है। इसके लिए सहकारिता विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है , जिसे जल्द ही कैबिनेट में रखा जाएगा। यह राशि शेयर कैपिटल (अंश पूंजी) के रूप में समितियों को दी जाएगी। इसके साथ ही बैंकों के संचालन में सहकारी कैडर को फिर से शुरु किया जाएगा।अपेक्स बैंक के अधिकारी कैडर में होंगे और वे जिला बैंक में सीईओ, लेखाधिकारी रहेंगे। इससे कांग्रेस का एक और वचन पूरा हो जाएगा।
दरअसल, सत्ता में आते ही सरकार ने कर्जमाफी का ऐलान किया था।जिसके बाद से ही कर्जमाफी की प्रकिया शुरु हो गई। किसानों के खाते में लगातार राशि डाली जा रही है। आचार संहिता लगने से पहले सरकार ज्यादा से ज्यादा किसानों की कर्जमाफी करना चाहती है, ताकी लोकसभा में इसे भुना सके। कर्ज माफी योजना में सहकारी समितियों को एनपीए (कालातीत राशि) की 50 फीसदी राशि सरकार दे रही है, बाकी 50 फीसदी राशि का भार समितियों को ही उठाना पड़ रहा है।ऐसे में समितियों पर भार पड़ना निश्चित है जिसके चलते सरकार ने फैसला किया है कि वह समितियों को बचाने के लिए पैसा देगी। यह राशि साढ़े चार हजार से छह हजार करोड़ रुपए के बीच हो सकती है। सरकार तीन साल में छह हजार करोड़ रुपए निवेश करेगी। यह राशि शेयर कैपिटल (अंश पूंजी) के रूप में समितियों को मिलेगी। हालांकि यह कदम वैद्यनाथन पैकेज की शर्तों के खिलाफ है। वैद्यनाथन पैकेज में यह तय हुआ था कि राज्य सरकार सहकारी संस्थाओं से अपनी अंशपूंजी कम करेगी। इसकी शुरुआत मौजूदा वित्तीय वर्ष से होगी और 2020-21 तक यह राशि तीन किस्तों में मिलेगी। इसके जरिए जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और समितियों में सरकार का सीधा दखल रहेगा।
इसके साथ ही बैंकों के संचालन में सहकारी कैडर फिर से शुरु किया जाएगा। अपेक्स बैंक के अधिकारी कैडर में होंगे और वे जिला बैंक में सीईओ, लेखाधिकारी रहेंगे।इसी तरह जिला स्तर के संवर्ग में जिला बैंकों के अधिकारी होंगे जो सहकारी समितियों को नियंत्रित करेंगे। बताया जा रहा है कि अगले सप्ताह तक सहकारी कैडर के गठन के आदेश जारी हो जाएंगे। इससे कांग्रेस के वचन पत्र का एक और वचन पूरा हो जाएगा। सूत्रों का कहना है कि एक मुश्त समझौता योजना के जरिए कालातीत कर्ज का निपटारा किया जाएगा। इसके एवज में समितियों को मूल कर्ज की कुछ राशि माफ करनी होगी और ब्याज भी छोड़ना होगा। इससे समितियों को जो नुकसान होगा, उसकी आधी भरपाई तो सरकार करेगी और बाकी राशि समिति को वहन करनी होगी।