बैकफुट पर कमलनाथ सरकार, सरकारी नौकरी में उम्र सीमा बढ़ाई

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भोपाल।  सरकारी नौकरियों में उम्र सीमा को घटाने के फैसले का भारी विरोध होने के बाद कमलनाथ सरकार बैकफुट पर आ गई है। सरकार ने सरकारी नौकरियों में अधिकतम आयु सीमा नए सिरे से तय कर दी। अब अन्य राज्य सहित प्रदेश के अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम आयु सीमा एक समान 40 वर्ष रखी गई है। गुरूवार को राज्य सरकार ने संशोधित आदेश जारी कर दिया है। राज्य शासन ने इस संबंध में सभी विभागों को निर्देश जारी किये हैं।  

दरअसल, हाल ही में सरकार ने अधिकतम आयु सीमा 28 वर्ष से बढ़ाकर 35 वर्ष कर दी थी। इससे अनारक्षित वर्ग के मध्यप्रदेश के निवासियों को पांच साल का नुकसान हो रहा था। इस फैसले से प्रदेशभर में सरकार के खिलाफ युवाओं की नाराजगी और कई मंत्रियों के दबाव था| जिसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी पहलुओं का परीक्षण करने के बाद आयु सीमा सबके लिए एक समान 40 साल करने का निर्णय किया है।

मध्यप्रदेश के अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, नगर सैनिक, महिला और निगम, मंडल, स्वशासी संस्थाओं के कर्मचारियों को पांच साल की छूट दी जाएगी। अब राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से राजपत्रित और कार्यपालिक पदों के लिए होने वाली भर्ती में न्यूनतम आयु सीमा 21 और अधिकतम 40 वर्ष रहेगी। वहीं, राज्य लोक सेवा आयोग की परिधि के बाहर तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए न्यूनतम आयु सीमा 18 से 40 वर्ष होगी। वहीं  अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, शासकीय, निगम, मंडल, स्वशासी संस्थाओं के कर्मचारियों, नगर सैनिक, नि:शक्तजन एवं महिलाओं (आरक्षित-अनारक्षित) के लिए अधिकतम आयु सीमा में पांच साल की छूट रहेगी यानी 45 साल तक शासकीय सेवा में आने का मौका मिलेगा। 

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने हाल ही में शासकीय सेवाओं में आयु सीमा नए सिरे से तय की थी। जिसमें दूसरे राज्यों के युवाओं के लिए एमपीपीएससी से सीधी भर्ती के पदों पर आयु सीमा बढ़ाकर 35 कर दी थी, जबकि मप्र के युवाओं के लिए पहले से तय आयु सीमा 40 को घटाकर 35 वर्ष कर दिया था।  सूत्रों के मुताबिक प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट जबलपुर के निर्णय की रोशनी में सरकारी नौकरियों में अधिकतम आयु सीमा को 28 वर्ष से बढ़ाकर 35 वर्ष कर दी थी। यह फैसला मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों के आवेदकों के लिए लागू हुआ था, लेकिन इसकी वजह से प्रदेश के अनारक्षित वर्ग को अधिकतम सीमा में पांच साल का नुकसान हो रहा था। 


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