भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ जून में कैबिनेट विस्तार के मूड में हैं, लेकिन ऐसा होता नहीं दिखाई दे रहा है। लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से ही कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी उनसे खफा चल रहे हैं। हाल ही में कमलनाथ दिल्ली पहुंचे थे। यहां राहुल ने उन्हें मिलने के लिए समय नहीं दिया। जबकि मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके बेटे छिंदवाड़ा से सांसद नकुल नाथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर प्रदेश लौट आए। लोकसभा नतीजों के बाद ही राहुल पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से नाराज़ हैं।
दरअसल, मध्य प्रदेश में कैबिनेट विस्तार होना है। जिसके लिए छह महीने से कई विरष्ठ विधायक इंतज़ार में हैं। कमलनाथ ने भी इस बात के संकेत दिए थे कि जून के पहले या दूसरे हफ्ते में इस काम को अंजाम दिया जा सकता है। छह नए चेहरों को कैबिनेट में जगह मिलने की संभावना है। लेकिन दो दिवसीय दौरे पर दिल्ली गए कमलनाथ को राहुल गांधी ने समय नहीं दिया। नाथ राहुल से मिलकर मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और कैबिनेट विस्तार को लेकर चर्चा करना चाहते थे। दोनों ही नेताओं के बीच विधानसभा चुनाव के बाद से काफी अच्छे रिश्ते होने की बात कही जा रही थी। लेकिन लोकसभा चुनाव में जिस तरह से मध्य प्रदेश में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हुआ है उससे राहुल आहत हैं। वह इस बात से भी नाराज़ा हैं कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अपने बेटों को टिकट दिलवाने के लिए दबाव बनाया। इनमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत, कमलनाथ और चिदंबरम भी शामिल हैं। जबकि, जीत सिर्फ कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ को ही मिली है।
वहीं, कैबिनेट विस्तार के इंतजार में कांग्रेस के कई विधायक टिकटिकी लगाए बैठे हैं। उनके अलावा कुछ निर्दलीय अन्य पार्टी के विधायक भी मंत्री पद पाने की चाह रखते हैं। निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह ठाकुर और केदार सिंह डाबर भी उम्मीद जता रहे हैं कि उन्हें मंत्रिमंडल में स्थान मिलेगा। इसके साथ ही बसपा विधायक संजीव सिंह कुशवाह और सपा से राजेश शुक्ला को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की चर्चा है। इन विधायकों को कैबिनेट में शामिल न किए जाने की वजह उनके पहली बार विधायक चुना जाना बताया गया था। हालाकि मंत्रिमंडल विस्तार कब होगा, यह अभी तय नहीं है। फिलहाल कमलनाथ कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत अन्य 28 मंत्री हैं। इसलिए मंत्रिमंडल में 6 नए चेहरे ही शामिल किए जा सकते हैं, जबकि मंत्रिमंडल में स्थान न पाने वालों की लंबी फेहरिस्त है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल का विस्तार न होने तक पार्टी के विधायकों और निर्दलियों को खाली पड़े निगम मंडलों में एडजेस्ट किया जा सकता है।