भोपाल। अपने पूरे कार्यकाल में हमेशा महत्वपूर्ण पदों पर रहे मध्य प्रदेश के ताकतवर आईएएस अधिकारियों में शुमार वाणिज्य कर विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव को अचानक पशुपालन जैसे विभाग की जिम्मेदारी सौंपना किसी के गले नहीं उतर रहा है। मनोज श्रीवास्तव बेहद काबिल और गंभीर अधिकारी माने जाते हैं और जहां जहां रहे उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है। फिर आखिरकार ऐसी क्या वजह रही जिसके कारण कमलनाथ सरकार ने उन्हें लूपलाइन जैसी पोस्टिंग में भेज दिया।
सूत्रों की मानें तो इसकी बड़ी वजह 2 साल पहले इंदौर में हुआ पड़ा आबकारी घोटाला है। जिसके सूत्रधार इंदौर के तत्कालीन असिस्टेंट कमिश्नर संजय दुबे थे। आबकारी ठेकेदारों और आबकारी विभाग के अधिकारियों के संरक्षण में हुई इस गड़बड़ी में शासन को 42 करोड़ रू की चपत लगी थी। इस राशि में से 20 करोड़ रू की राशि अभी भी जब्त नहीं हो पाई है। भाजपा सरकार में अपने ऊंचे रसूख का लाभ उठाकर संजीव दुबे ने अपने निलंबन को रद्द करवा कर अपनी पोस्टिंग तो दोबारा करवा ली लेकिन इस मुद्दे को लेकर सरकार की खूब फजीती हुई थी।
कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को लेकर भाजपा को विधानसभा तक में खूब घेरा था। चुनाव के वक्त भी कांग्रेस ने इस मुद्दे का खुलासा करने का वायदा किया था और दोषियों को सजा दिलाने की बात कही थी। अपनी स्वच्छ छवि को आबकारी विभाग जैसे मलाईदार विभाग के माध्यम से आम जनता में दिखाने के लिए कमलनाथ सरकार ने सबसे पहले बड़ी कार्यवाही विभाग के प्रमुख पर ही कर डाली। आने वाले समय में उम्मीद है कि इंदौर के आबकारी घोटाले से जुड़ी हुई पर्तें एक के बाद एक खुलेंगी और घोटाले के दोषी बच नहीं पाएंगे।